फ्रांस-ब्रिटेन के बाद कनाडा भी फिलिस्तीन को मान्यता देगा:प्रधानमंत्री कार्नी ने ऐलान किया

कनाडा भी फ्रांस और ब्रिटेन की तरह फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के तौर में मान्यता देगा। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बुधवार को इसका ऐलान किया।

यह मान्यता औपचारिक रूप से सितंबर 2025 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान दी जाएगी।

इसके साथ ही कनाडा, फ्रांस और ब्रिटेन के बाद G7 का तीसरा देश बन गया है जिसने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया है।

गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच करीब दो साल से जंग जारी है। वहां में पानी और खाद्य संकट और रिफ्यूजी शिविरों की हमलों से मानवीय संकट गहरा गया है। इसके चलते इजराइल पर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।

कनाडा ने मान्यता के लिए शर्तें रखीं

प्रधानमंत्री कार्नी ने मान्यता के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं। इन्हें फिलिस्तीन को पूरा करना होगा।

1. अगले वर्ष चुनाव कराना अनिवार्य होगा, जो कि 2006 के बाद पहली बार होगा।

2. चुनाव और शासन में हमास की कोई भागीदारी नहीं होगी। (हमास को आतंकी संगठन माना जाता है)

3. फिलिस्तीनी राज्य का डिमिलिटराइजेशन यानी यानी हथियारों और लड़ाकू क्षमताओं से मुक्त क्षेत्र बनाया जाएगा।

कार्नी ने कहा कि उन्होंने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से सीधे बात की है और इन शर्तों पर सहमति मिल गई है। उन्होंने कहा कि गाजा में जो हो रहा है, वह मानवता के खिलाफ अपराध जैसा है।

उन्होंने इजराइल पर आरोप लगाया कि वह अंतरराष्ट्रीय संगठनों को राहत सामग्री देने नहीं दे रहा, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक 60 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इनमें 89 बच्चों सहित 154 लोगों की मौत भुखमरी से हुई है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।

कार्नी ने आर्थिक मदद देने का ऐलान भी किया

कनाडा ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी को 63 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है। इससे भविष्य में राज्य का ढांचा तैयार किया जाएगा। साथ ही, कनाडा ने 190 करोड़ रुपए की मानवीय सहायता देने की घोषणा की है।

इस प्रक्रिया में कनाडा, जॉर्डन और अन्य क्षेत्रीय देशों की मदद ले रहा है, ताकि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचे।

इजराइल ने कनाडा के फैसले की निंदा की

इजराइल ने कनाडा के इस ऐलान की कड़ी निंदा की है। कनाडा में इजराइली राजदूत इड्डो मोएड ने कहा,

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यह आतंकवादियों को इनाम देने जैसा है। इससे हमारे ऊपर दबाव बढ़ेगा, लेकिन हम इस दबाव के आगे झुकेंगे नहीं।

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इजराइल के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा कि यह फैसला गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई की कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।

कनाडा की विपक्षी, कंजरवेटिव पार्टी ने भी इस फैसले की आलोचना की। उसने कहा कि यह कदम 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों के बाद गलत संदेश देता है। पार्टी ने चुनाव प्रचार में इजराइल का खुलकर समर्थन किया था।

मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी में भी इस मुद्दे पर मतभेद रहे हैं। कुछ सांसद इजराइल का समर्थन करते हैं, तो कुछ फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग कर रहे थे।

हाल ही में 200 से अधिक पूर्व कनाडाई राजनयिकों और राजदूतों ने एक पत्र में सरकार से फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग की थी।

ब्रिटेन और फ्रांस पहले मान्यता देने का ऐलान कर चुके

फ्रांस और ब्रिटेन और पहले मान्यता देने का ऐलान कर चुके हैं। ब्रिटेन ने हालांकि ब्रिटेन ने इजराइल के सामने शर्त रखते हुए फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात कही है। ब्रिटेन ने कहा है कि अगर इजराइल हमास के साथ सीजफायर के लिए सहमत नहीं होता है तो वह सितंबर में फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता दे देगा।

दूसरी तरफ फ्रांस ने बिना किसी शर्त फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया है। यह ऐलान सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की महासभा के अधिवेशन के दौरान किया जाएगा।

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