एम्स भोपाल में बढ़े प्रोस्टेट का इलाज अब बिना सर्जरी:कलाई के रास्ते 65 साल के मरीज में ‘PAE’ तकनीक से हुआ इलाज, MP में पहली बार

एम्स भोपाल ने मध्य प्रदेश के मरीजों के लिए नई चिकित्सा तकनीक की शुरुआत की है। डॉक्टरों ने प्रोस्टेट आर्टरी एम्बोलाइजेशन (PAE) तकनीक से बिना चीरा लगाए, बिना भर्ती किए और बिना यौन क्षमता पर असर डाले बढ़े हुए प्रोस्टेट (Benign Prostatic Hyperplasia – BPH) का इलाज करती है। अमेरिकी यूरोलॉजिकल एसोसिएशन और NICE यूके गाइडलाइंस से अनुमोदित यह प्रक्रिया प्रदेश में पहली बार एम्स भोपाल में शुरू हुई है।
इस तकनीक से 65 वर्षीय मरीज का सफल उपचार किया गया है, जो पहले बार-बार पेशाब आने और मूत्र प्रवाह में दिक्कत जैसी गंभीर परेशानियों से जूझ रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक बुजुर्गों और उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं है। यह दर्दरहित, तेज रिकवरी वाली और पूरी तरह सुरक्षित प्रक्रिया है।
कलाई के रास्ते किया इलाज एम्स भोपाल ने PAE तकनीक इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के तहत की जाती है। इसमें डॉक्टर एक छोटी सी पिनहोल एंट्री कलाई (wrist) या groin artery से करते हैं, जिससे प्रोस्टेट की रक्त आपूर्ति को नियंत्रित किया जाता है। इससे प्रोस्टेट सिकुड़ने लगता है और मरीज को बिना सर्जरी, बिना कट-छांट के राहत मिलती है।
क्या है ‘PAE’ तकनीक
- प्रोस्टेट की धमनी में सूक्ष्म कणों को भेजा जाता है जो रक्त प्रवाह घटाते हैं।
- प्रोस्टेट का आकार घटता है और मूत्र संबंधी लक्षणों में राहत मिलती है।
- पूरी प्रक्रिया केवल 1–2 घंटे में पूरी होती है और मरीज उसी दिन घर जा सकता है।
25 मिनट में हो गया इलाज इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी सेंटर में डॉ. अमन कुमार और उनकी टीम ने PAE प्रक्रिया 25 मिनट में पूरी की। जिसके 7 दिन के अंदर मरीज पहले महसूस होने वाले सभी तरह के लक्षण से मुक्त हो गया। साथ ही सामान्य जीवन जीने लगा। अब उसे न तो पेशाब की दिक्कत है और न दर्द की समस्या है।
एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश मलिक ने बताया कि यह तकनीक अमेरिकी यूरोलॉजिकल एसोसिएशन और NICE यूके की गाइडलाइंस से स्वीकृत है। यह मरीज़ो के लिए जीवन बदलने वाली चिकित्सा है। खासकर उन लोगों के लिए जो पारंपरिक सर्जरी नहीं करवा सकते।
नई तकनीक के फायदे
- बिना चीरे या सर्जरी के इलाज
- सामान्य एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं
- यौन क्षमता पूरी तरह सुरक्षित रहती है
- एक ही दिन में डिस्चार्ज संभव
- बुजुर्ग और उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए भी सुरक्षित





