बाबर, फतह… भारत पर मिसाइल हमलों से होगी अगले युद्ध की शुरूआत, पाकिस्तान ने रॉकेट फोर्स क्यों बनाया? असली कारण आए सामने

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मई महीने में भारत से हुए संघर्ष के बाद अगस्त महीने में आर्मी रॉकेट फोर्स कमांड (ARFC) बनाने का ऐलान किया था। शहबाज शरीफ की घोषणा ने डिफेंस की दुनिया को हैरान करके रख दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के खिलाफ मई महीने में संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ फतह सीरिज की बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिसे भारत ने हरियाणा के सिरसा शहर के ऊपर मार गिराया था। इसके अलावा भारत के ब्रह्मोस मिसाइल के सटीक हमलों को रोकने में पाकिस्तान बुरी तरह से नाकाम रहा था।

पाकिस्तान ने अपने मिसाइल कार्यक्रम को अभी कर जान बूझकर उलझा हुआ बना रखा था, ताकि दुश्मन कनफ्यूज रहे, लेकिन असल में वो खुद इस सिस्टम में उलझ गया था। अभी तक पाकिस्तान के परमाणु और पारंपरिक मिसाइलें, एक न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी में आता था, लेकिन पहली बार पाकिस्तान ने पारंपरिक मिसाइलों के लिए अलग से एक फोर्स बनाने का फैसला किया है, जिसे ARFC नाम दिया गया है।

आर्मी रॉकेट फोर्स कमांड बना रहा पाकिस्तान
आर्मी रॉकेट फोर्स कमांड यानि ARFC बनाने का पाकिस्तान का मकसद भारत के सटीक मिसाइल हमलों को रोकना और जवाबी प्रतिक्रिया करना है। कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि ARFC की घोषणा, पाकिस्तान के मिसाइल सिस्टम को पहली बार स्पष्ट रूप से सिर्फ पारंपरिक दिशा में व्यवस्थित करती है, जिससे कमांड और कंट्रोल आसान होगा, लेकिन वो इस बात का संकेत देते हैं कि भविष्य के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान अब ज्यादा से ज्यादा मिसाइलों के इस्तेमाल पर फोकस करेगा, जैसा ईरान ने किया था। इससे दो बातें होती हैं, एक तो परमाणु हमले का खतरा कम होता है और दूसरा कि इससे जल्दी और तेज प्रतिक्रिया दी जा सकेगी। इसका मतलब है कि भविष्य के संघर्ष के दौरान ईरान की तरह पाकिस्तान भी ज्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल करेगा।
चीन ने 1966 में अपनी दूसरी आर्टिलरी कोर की स्थापना की थी, जिसे बाद में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (PLARF) नाम दिया गया। साल 2021 में चीन के साथ बढ़ती मिसाइल और परमाणु बमों ती क्षमता को भांपते हुए, तत्कालीन भारतीय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स (IRF) बनाने का प्रस्ताव रखा था। चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और 2025 के ईरान-इजरायल संघर्ष में भी मिसाइलों का भरपूर इस्तेमाल देखा गया है। हालांकि PLARF, पारंपरिक और परमाणु दोनों मिसाइलों को ऑपरेट करता है, जबकि IRF और ARFC को सिर्फ पारंपरिक मिसाइलों के लिए ही बनाया गया है।
राकेट फोर्स से परमाणु हमले का जोखिम कम
मई 2025 के हमले में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ स्कैल्प और ब्रह्मोस जैसे प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशंस का सटीक इस्तेमाल किया था, जबकि पाकिस्तान के पास सीमित पारंपरिक विकल्प मौजूद थे। पाकिस्तान की कई मिसाइलें ‘डुअल कैपेबल’ बताई जाती रही हैं, लेकिन वे मुख्य रूप से परमाणु कमान के तहत ही रहती हैं, जिससे सेना के पास सीमित पारंपरिक मिसाइल विकल्प बचते थे। ARFC इस कमी को भरने और भविष्य में तेज, सटीक प्रतिक्रिया सक्षम करने के लिए बनाई गई है। कुछ एक्सपर्ट्स का तर्क है कि राकेट फोर्स के निर्माण का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे परमाणु जंग का जोखिम काफी कम हो जाएगा।

साउथ एशिया वाइस में लिखे अपने एक लेख में पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट अली मुस्तफा ने लिखा है कि मई महीने में पाकिस्तान चाहकर भी भारत के खिलाफ मिसाइलों का इस्तेमाल नहीं कर पाया था। लेकिन रॉकेट फोर्स से एक कमांड के अंदर सभी पारंपरिक मिसाइलें आएंगी और उनका इस्तेमाल होगा, जिससे परमाणु खतरा काफी कम हो जाएगा। अली मुस्तफा ने लिखा है कि पाकिस्तान की सेना मई संघर्ष के दौरान भारत के खिलाफ किए गये किसी भी कारगर हमले का सबूत नहीं दे पाई और चूंकी पाकिस्तान की सेना राजनीति में गहराई तक शामिल रहती है, इसीलिए भविष्य के संकट के दौरान वो जनता को सबूत देना चाहती है और रॉकेट फोर्स इसमें भूमिका निभाएगी। उन्होंने लिखा है कि भविष्य के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान बाबर, फतह और हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करेगी।

क्या ARFC वाकई भारत को काउंटर कर पाएगा?
अली मुस्तफा ने लिखा है कि पाकिस्तान के पलटवार की आशंका के बावजूद भारत ने हालिया समय में दो बार हमले किए हैं। उन्होंने लिखा है मई 2025 में भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस पर सटीक हमले किए, लेकिन पाकिस्तान जवाब देने में नाकाम रहा। इसीलिए उन्होंने सलाह दी है कि अगर पाकिस्तान चाहता है कि भारत भविष्य में एक भी गोली चलाने से पहले सौ बार सोचे, तो उसे भारत के सैन्य ठिकाने नहीं, बल्कि आर्थिक महत्व वाले लक्ष्यों पर हमला करना होगा और पाकिस्तान का सैन्य नेतृत्व के हालिया बयान इसी तरफ इशारे करते हैं।

लेकिन ARFC की मौजूदगी, दक्षिण एशिया में किसी भी संकट को पहले से ज्यादा खतरनाक और विनाशकारी बना सकती है। फिर भारत का पलटवार भी उतना ही प्रचंड होगा और हकीकत ये है कि पाकिस्तान के पास क्राइसिस मैनेजनेंट तंत्र नहीं है। यदि मई 2025 जैसी घटना फिर होती है, तो संघर्ष की शुरुआत ही पाकिस्तान बैलिस्टिसक मिसाइल हमलों से करेगा।। वह भी सिर्फ सीमा के पास नहीं, बल्कि भारत के गहरे सैन्य और औद्योगिक लक्ष्यों पर। इससे बड़े स्तर की नुकसान की आशंका होगी और भारत के उसी तरह के पलटवार से मानवीय त्रासदी का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। लिहाजा, ARFC युद्ध को शुरू होने से पहले लंबे समय तक रोक सकता है, लेकिन एक बार शुरू होने के बाद ये संकट को विनाशक स्तर पर भड़का देगा।

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