पुरी में बहुड़ा यात्रा -सुरक्षा में 10 हजार जवान तैनात:रथों पर बैठे महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा

ओडिशा के पुरी में बहुड़ा यात्रा शुरू हो गई है। इस यात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ का नंदीघोष रथ, बलभद्र का तालध्वज और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ गुंडिचा मंदिर से जगन्नाथ जी के मुख्य मंदिर लौटते हैं।

रथ यात्रा की शुरुआत इस बार 27 जून को हुई थी और 28 जून को तीनों गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे। यह जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर स्थित है। यहां भगवान अपनी मौसी के यहां ठहरते हैं।

बहुड़ा यात्रा के लिए गुंडिचा मंदिर के बाहर, भक्तों की भारी भीड़ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगभग 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

श्री जगन्नाथ ट्रस्ट के मुताबिक पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच रथों की औपचारिक सफाई करेंगे। इसके बाद रथों पर घोड़े लगाए जाएंगे। रथ खींचने का काम शाम 4 बजे होगा।

रविवार सुबह 4 बजे गुंडिचा मंदिर में मची थी भगदड़

रविवार (29 जून) तड़के करीब 4 बजे गुंडिचा मंदिर में भगदड़ मच गई थी। इसमें 3 लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए थे। यहां भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन करने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी, इसी दौरान भगदड़ मची।

जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, लोगों में दर्शन की होड़ लग गई

पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के सामने 9 दिन के लिए खड़ा कर दिया जाता है। यहां बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले पहुंच चुके थे। जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, जिससे लोगों में उसके दर्शन करने की होड़ लग गई। इसी दौरान भगदड़ मची, जिसमें गिरने से कई लोग कुचल गए।

इस साल दो दिन निकली रथ यात्रा

रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून को हो गई थी। रथ यात्रा मार्ग पर 10 लाख से ज्यादा भक्त रथों के दर्शन करने और उन्हें खींचने आए हुए थे। भक्तों की भारी भीड़ की वजह से पहले दिन रथ गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच पाए। अगले दिन यानी 28 जून को रथ यात्रा फिर शुरू हुई और दोपहर में करीब 1.15 बजे तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए थे।

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