बिहार चुनाव: महुआ में फिर गूंज रही ‘बांसुरी’, लेकिन अब मैदान बंटा हुआ, जानिए तेज प्रताप के लिए कैसा समीकरण

वैशाली: देख-देख, हेलिकॉप्टर से कौन उतर रहल बा… वैशाली जिले के हरपुर-ओस्ती गांव में यह आवाज़ उस वक्त गूंज उठी, जब तेज प्रताप यादव का हेलिकॉप्टर अस्थायी हेलीपैड पर उतरा। गांव में एक तरफ उत्सव का माहौल था, तो दूसरी ओर लालू युग की यादें ताज़ा हो गईं। महिलाएं दौड़कर देखने आईं, युवक मोबाइल निकालकर सेल्फी लेने लगे- ‘लालू जी के बेटा आईल बाड़े!’ बता दें, खुद को ‘कृष्ण’ बताने वाले तेज प्रताप यादव दूसरी बार महुआ से चुनाव लड़ रहे हैं।

तेज प्रताप की पहचान की सबसे बड़ी वजह- ‘लालू का बेटा’

महुआ के लोगों के लिए तेज प्रताप यादव आज भी ‘लालू यादव का बेटा’ ही हैं- चाहे वह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हों या पूर्व विधायक। महिलाओं में उनके प्रति अब भी लगाव झलकता है। स्थानीय महिला सुमित्रा देवी कहती हैं, ‘वो बहुत अच्छे हैं, सबसे मिलते हैं। यहां अस्पताल भी बनवाए थे।’

युवाओं के लिए ‘तेजु भइया’ – बांसुरी बजाने वाला नेता

युवाओं में तेज प्रताप को ‘तेजु भइया’ कहा जाता है, जो बांसुरी बजाते हैं और खुद को कृष्ण जैसा बताते हैं। पहली बार वोट डालने वाले 20 वर्षीय निर्मल कुमार कहते हैं, ‘तेजु भइया बांसुरी बजाते हैं, सच भी बोलते हैं। भीड़ उसी तरह खिंचती है, जैसे कृष्ण के पीछे गायें आती थीं।’

अब अपने ही दल से चुनावी मैदान में तेज प्रताप!

तेज प्रताप यादव इस बार अपने नए दल जनशक्ति दल से चुनाव लड़ रहे हैं। भाई तेजस्वी यादव और राजद (RJD) से दूरी के बाद उन्होंने समस्तीपुर की हसनपुर सीट छोड़कर महुआ की अपनी पुरानी जमीन पर वापसी की है। महुआ में तेज प्रताप के आने से मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां राजद के मौजूदा विधायक डॉ. मुकेश कुमार रौशन मैदान में है तो एलजेपी (आर) के संजय कुमार सिंह एनडीए के प्रत्याशी हैं।

महुआ में समीकरण मुश्किल, लोकप्रियता बरकरार

स्थानीय जानकारों का कहना है कि तेज प्रताप की लोकप्रियता और लालू परिवार की विरासत के बावजूद गणित उनके पक्ष में नहीं है। युवा नवनीत कुमार कहते हैं, ‘अब लोग गठबंधन की ताकत भी देख रहे हैं। एनडीए का उम्मीदवार भी मजबूत है और राजद के मौजूदा विधायक को संगठन का पूरा साथ है।’ उन्होंने कहा कि महुआ में पासवान और गैर-राजद, गैर-मुस्लिम वोटर एक बड़ा वोट बैंक हैं, जिससे मुकाबला और कड़ा हो गया है।

‘लालू जी के संस्कार, पर अब अलग राह’

कई मतदाताओं का कहना है कि भले ही तेज प्रताप अब अपनी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन लालू यादव के बेटे होने की वजह से उनके प्रति लोगों में स्नेह है। लालू यादव ने ओबीसी और पिछड़े वर्गों को राजनीति में आवाज़ दी थी, वही छवि आज भी लोगों के मन में है।

दादी की तस्वीर लेकर नामांकन, भाई पर कटाक्ष

तेज प्रताप ने नामांकन के दौरान अपनी दादी मराछिया देवी की तस्वीर साथ रखी- यह उनके लिए विरासत और स्वतंत्रता दोनों का प्रतीक माना गया।
हालांकि उनका यह बयान कि- ‘अगर तेजस्वी महुआ आएंगे तो मैं राघोपुर जाकर उनके खिलाफ प्रचार करूंगा’, परिवार के भीतर गहरे मतभेदों की झलक दिखाता है।

‘भीड़ वही है, पर समय बदल गया’

महुआ की सड़कों पर अब भी ‘लालू के बेटा आईल बा’ की गूंज सुनाई देती है। तेज प्रताप की शैली, भाषा और देहाती करिश्मा लोगों को उनके पिता की याद दिलाता है। लेकिन पुराने रिश्ते अब बिखर चुके हैं, और तेजु भइया के पास अपना स्थायी वोट बैंक नहीं दिखता।

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