भाई या भाजपा…! राज ठाकरे ने परिवार संग मातोश्री में किया स्नेह भोज, स्थानीय निकाय चुनावों में किसके साथ रहेगी मनसे?

मुंबई: बिहार में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच महाराष्ट्र में भी स्थानीय निकाय चुनावों का ऐलान हो सकता है। ऐसे में सभी दल अपने हिसाब से तैयारियों में जुटे हैं लेकिन ठाकरे ब्रदर्स ( उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। राज ठाकरे की अगुवाई वाली मनसे लोकसभा चुनावों में बीजेपी के साथ रही थी। इसके बाद हुए विधानसभा में चुनावों में अकेली उतरी थी। अब चर्चा है कि जिस तरह से दोनों भाईयों के अलग होने के बाद बर्फ पिघली है। उसके बाद चर्चा है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी और मनसे स्थानीय निकाय चुनाव मिलकर लड़ेंगे। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी से ज्यादा चिंता एकनाथ शिंदे की बढ़ेगी। इसलिए मुंबई में शिवतीर्थ और मातोश्री की राजनीतिक हलचल सभी की नजरें टिकी हैं।

मातोश्री में भोजन के साथ तीन घंटे चर्चा
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को शिवसेना (यूबीटी) के पक्षप्रमुख उद्दव ठाकरे से उनके आवास मातोश्री पर जाकर मुलाकात की। दोनों की मुलाकात को लेकर फिर सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। सूत्रों का कहना है कि राज ने उद्धव के साथ करीब तीन घंटे तक राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। राज ठाकरे रविवार को अपने परिवार के साथ मातोश्री गए और उद्धव से बातचीत की। बता दें कि पिछले एक सप्ताह में दोनों भाइयों की यह दूसरी मुलाकात है। इस बारे में राज ने बताया कि ‘मेरी मां मेरे साथ हैं। यह पारिवारिक मुलाकात और स्नेहभोज था। पिछले दो महीने में दो भाई छह बार मिल चुके हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राज ठाकरे अपने बेटे अमित ठाकरे की हार के लिए शिंदे को जिम्मेदार मानते हैं। उनके मन में बीजेपी को लेकर उतनी कड़वाहट नहीं है।

कहां तक पहुंची गठबंधन की बात?
ठाकरे बंधुओं के गठबंधन की अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। यूबीटी सांसद संजय राऊत दावा कर चुके हैं कि राज्य की पांच मनपाओं में दोनों दलों के साथ आने की लगभग सहमति बन चुकी है। महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक दयानंद नेने कहते हैं इसमें कोई शक नहीं है कि महाराष्ट्र में हिंदूओं के दिलों पर राज करने वाले बाल ठाकरे का प्रभाव नहीं है। बिल्कुल है, लेकिन पिछले सालाें में राजनीति जैसे बदली है। उसके बाद अगर इन चुनावों में अगर दोनों भाई साथ आते हैं तो ठाकरे सरनेम को टेस्ट होगा, क्योंकि शिवसैनिक बंटे हुए हैं। शिवसेना यूबीटी और मनसे का प्रभाव एक साथ एक ही एरिया और एक ही वोट बैंक पर है। ऐसे में कितनी ताकत बढ़ेगी? यह चुनावों में साफ हो जाएगी। नेने कहते हैं अगर उद्धव ठाकरे को जमीन बचानी है तो उन्हें मेहनत करनी होगी। इसके साथ राज ठाकरे को विश्वसनीयता खड़ी करनी होगी, जो उन्हें पिछले सालों में गंवाई है। नेने कहते हैं कि दिलचस्प यह है कि मुंबई 227 वार्ड हैं। ऐसे में अगर यूबीटी मनसे साथ आते हैं तो MVA का क्या होगा? इसका उत्तर मिलना बाकी है।

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