कैश ऑन डिलीवरी या खुल्‍लम-खुल्‍ला लूट? कैसे किया जाता है गुमराह, होश उड़ा देगा ये ‘डार्क पैटर्न’

नई दिल्‍ली: सरकार ने ‘कैश-ऑन-डिलीवरी’ पर सख्‍त रुख अपनाया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर सख्‍त एक्‍शन का ऐलान किया है। ये प्लेटफॉर्म कैश-ऑन-डिलीवरी (सीओडी) के लिए ग्राहकों से अतिरिक्त चार्ज वसूलते हैं। अब इस मामले की सरकारी जांच शुरू होने जा रही है। आरोप है कि ये चार्ज ग्राहकों को गुमराह करके वसूले जाते हैं। उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालय का यह कदम एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है। उस पोस्ट में ऐसे अनाप-शनाप के चार्जेस का खुलासा हुआ था। इससे लोगों में गुस्सा फूटा। इसके बाद ‘डार्क पैटर्न’ कहे जाने वाले इस मुद्दे पर बड़ी बहस छिड़ गई है।

कैसे किया जा रहा है गुमराह?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इस हफ्ते की शुरुआत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर एक पोस्ट वायरल हुआ। इसमें एक ग्राहक ने फ्लिपकार्ट के एक ऑर्डर पर 226 रुपये के अतिरिक्त सीओडी चार्ज पर पर चिंता जताई थी। इस चार्ज के विवरण में ‘ऑफर हैंडलिंग फीस’, ‘पेमेंट हैंडलिंग फीस’ और ‘प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस’ जैसे नाम शामिल थे।

ग्राहक ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘जोमेटो / स्विगी / जेप्‍टो की रेन फीस को भूल जाएं। फ्लिपकार्ट का मास्टरस्ट्रोक देखें: ऑफर हैंडलिंग फीस (मुझे वह छूट देने के लिए जिसका आपने विज्ञापन किया था?); पेमेंट हैंडलिंग फीस (मुझे आपको भुगतान करने देने के लिए?) और प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस (मुझे किस संतुष्टि से बचाना है?)’। ग्राहक ने क्विक-कॉमर्स और फूड-डिलीवरी ऐप्स की ओर से लिए जाने वाले अतिरिक्त चार्जेस पर भी कटाक्ष किया था

सरकार ने लिया संज्ञान

केंद्रीय मंत्री जोशी ने सीधे पोस्ट का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘उपभोक्ता मामलों के विभाग को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं जो कैश-ऑन-डिलीवरी के लिए अतिरिक्त चार्ज ले रहे हैं। यह एक डार्क पैटर्न के रूप में वर्गीकृत प्रैक्टिस है जो उपभोक्ताओं को गुमराह करता है। उनका शोषण करता है।’

क्‍यों है ये बड़ी चिंता का कारण?

जैसे-जैसे ज्‍यादा भारतीय ऑनलाइन खरीदारी पर निर्भर हो रहे हैं। वैसे-वैसे बिलिंग में पारदर्शिता बड़ी उपभोक्ता चिंता बन गई है। कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देते हैं। लेकिन सीओडी चुनने पर जुर्माना लगाना अनुचित और भ्रामक माना जा रहा है। यह एक व्यापक रूप से इस्‍तेमाल किया जाने वाला विकल्प है।

AI में बनना चाहते हैं महारथी तो यहां क्लिक करें

‘डार्क पैटर्न’ क्या होते हैं?

ये धोखेबाजी के लिए डिजाइन तकनीकें या मूल्य निर्धारण रणनीतियां हैं। इनका इस्‍तेमाल ग्राहकों के व्यवहार में हेरफेर करने के लिए किया जाता है। इन तरीकों में ऐसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं जो दिखाते हैं कि किसी वस्तु के केवल एक या दो पीस बचे हैं। ऐसा वे ग्राहक के खरीदने के फैसले को तेज करने के लिए करते हैं। जबकि असल में स्टॉक में कई और पीस होते हैं। या फिर वे एक नकली समय सीमा तय करते हैं। मसलन, ‘ऑफर 10 मिनट में समाप्त हो रहा है’। इसका मकसद भी ग्राहक को जल्दी खरीदारी करने के लिए मजबूर करना होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button