CJI बोले- कोर्ट की सतर्कता ज्यूडिशियल टेररिज्म में न बदले:कई ऐसे मौके होते हैं जहां न्यायपालिका को नहीं घुसना चाहिए

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ज्यूडिशियल रिव्यू (न्यायिक समीक्षा) की शक्ति का इस्तेमाल संयम से करना चाहिए। ऐसा तभी हो, जब कोई कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता हो।

एक लीगल न्यूज पोर्टल के सवाल का जवाब देते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि कई बार आप (कोर्ट) सीमाओं को पार करने की कोशिश करते हैं और वहां घुसने की कोशिश करते हैं, जहां आमतौर पर न्यायपालिका को प्रवेश नहीं करना चाहिए। जस्टिस गवई ने आगे कहा कि ज्यूडिशियल अलर्टनेस जरूरी है, लेकिन इसे ज्यूडिशियल टेररिज्म में नहीं बदलना चाहिए।

जस्टिस बीआर गवई ने ऑक्सफोर्ड यूनियन में ‘फ्रॉम रिप्रेजेन्टेशन टु रियलाइजेशन एम्बॉडिइंग द कॉन्स्टिटूशन्स प्रॉमिस’ सब्जेक्ट पर बोलते हुए कहा कि जब विधायिका और कार्यपालिका नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहती हैं, तब न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ता है। लेकिन इस हस्तक्षेप की सीमा और मर्यादा होनी चाहिए।

मई 2025: जस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा

CJI गवई ने रिटायर होने के बाद राजनीति में आने से इनकार किया। उन्होंने कहा था कि CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर उन्होंने कहा- मैं सोशल मीडिया को फॉलो नहीं करता हूं, लेकिन मेरा भी यही मानना ​​है कि जस्टिस अपने घरों में बैठकर फैसले नहीं सुना सकते। हमें आम आदमी के मुद्दों को समझना होगा।

अक्टूबर 2024: गवई बोले- जज नेता की प्रशंसा न करें, लोगों का ज्यूडिशियरी से भरोसा उठता है

जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि बेंच पर और बेंच से बाहर जज का व्यवहार ज्यूडिशियल एथिक्स के हाई स्टैंडर्ड के मुताबिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज के किसी राजनेता या नौकरशाह की तारीफ करते हैं तो पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है।

चुनाव लड़ने के लिए किसी जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं, जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं।

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