कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस:मुख्यमंत्री ने अफसरों को बताया अपना विजन और सरकार की प्राथमिकताएं

कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों का अलग मास्टर प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है। सीएम ने कहा कि ओंकारेश्वर और चित्रकूट में धार्मिक पर्यटन की जितनी संभावनाएं हैं, उनका अभी तक विकास नहीं हो सका है। इसलिए धार्मिक स्थलों का अलग मास्टर प्लान तैयार कर उन्हें भविष्य के पर्यटन के हिसाब से विकसित करें। नर्मदा परिक्रमा मार्ग का भी विकास जरूरी है।
2047 तक प्रदेश की सौ फीसदी आबादी के पास खुद का पक्का घर हो, इस विजन को लेकर शहरों का एक्शन प्लान बनाएं। गीता भवनों को आधुनिक टाउन हॉल के रूप में विकसित किया जाना है। हर शहर की जरूरत का आकलन करें और उनकी कमियों को दूर करने के लिए समय-सीमा तय करें। शहरी क्षेत्रों में टीडीआर के तहत अधिग्रहण भूमि पर मुआवजा दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संबोधन की 10 प्रमुख बातें
- जनविश्वास कायम करें: जनता का विश्वास ही हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है। इसे बनाए रखना ही सुशासन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।
- जवाबदेही और पारदर्शिता लाएं: प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेह, पारदर्शी और विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था पर ध्यान दें। इससे योजनाओं का लाभ शीघ्रता से जनता तक पहुंचे।
- मिशन मोड में करें काम: दक्षता और समर्पण के साथ जनता के कल्याण से जुड़े नवाचार करें। उन्हें मिशन मोड में लागू कराएं।
- गुड गवर्नेंस: बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और फील्ड स्तर पर ईमानदारी ही गुड गवर्नेंस है। इसी से ग्रेट रिजल्ट मिलेंगे।
- मिल्क केपिटल ऑफ इंडिया: मप्र दाल, मसाले, टमाटर उत्पादन में देश में प्रथम है। अनाज उत्पादन में भी आगे है। अब मप्र को मिल्क केपिटल बनाना है। इसलिए दूध उत्पादन बढ़ाने वाले नवाचार करें।
- शिक्षा: मप्र को शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल करना है। इसके लिए स्कूलों में सौ फीसदी नामांकन कराएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत रोजगारोन्मुखी और मूल्य आधारित क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा दें।
- ग्राउंड कनेक्ट: सभी कलेक्टर-कमिश्नर नियमित रूप से फील्ड विज़िट करें। गांवों में रात्रि विश्राम करें। जनसुनवाई में खुद बैठकर जनता की समस्याएं सुनें। स्थानीय मीडिया व जनता से सीधा संवाद बनाएं। इससे जमीनी हालात पर पकड़ बनेगी।
- सिंहस्थ: सिंहस्थ-2028 एक मौका है। यह हमें अपनी सांस्कृतिक, पर्यटन और धर्मस्थलों की ग्लोबल ब्रांडिंग का अवसर देगा। इसलिए इसे ध्यान में रखकर सभी कलेक्टर अपने जिलों के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासती स्थलों के सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दें।
- नवाचार: कलेक्टर जिलों में नवाचार करते वक्त ध्यान दें कि यह सतही के बजाय दीर्घकालिक हों। जो स्थाई रूप से कायम हो सकें। इसलिए विभागीय अनुमोदन के बाद ही इन्हें लागू करें।
- विकास का मास्टर प्लान: विकसित मप्र की थीम को ध्यान में रखकर हर जिले के विकास का एक मास्टर प्लान बनाएं। प्राथमिकताएं तय करें। उसी के हिसाब से विकास कार्यों को आगे बढ़ाएं।
किस क्षेत्र में कौनसे जिले का प्रदर्शन कैसा
मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण बेहतर : बालाघाट, झाबुआ, मंदसौर, होशंगाबाद, शाजापुर कमजोर: दमोह, अशोकनगर, सीधी, विदिशा, शिवपुरी
गैर संचारी रोग पर नियंत्रण बेहतर : मंदसौर, शाजापुर, छिंदवाड़ा, बैतूल, शहडोल कमजोर : सागर, छतरपुर, शिवपुरी, सिंगरौली, सीधी
जमीन का सीमांकन बेहतर : मंडला, झाबुआ, बैतूल, सिवनी और सिंगरौली। कमजोर : उमरिया, सीधी, अनूपपुर और मऊगंज।
बंटवारा केस बेहतर : झाबुआ, बालाघाट, सिंगरौली, मंडला और बैतूल। कमजोर : भोपाल, अनूपपुर, पन्ना, सीधी और टीकमगढ़।
नामांतरण बेहतर : बैतूल, सिंगरौली, नीमच, हरदा और छिंदवाड़ा। कमजोर : जबलपुर, अनूपपुर, रतलाम और पन्ना।
टीबी उन्मूलन बेहतर : जबलपुर, मंदसौर, सीहोर, धार, बड़वानी कमजोर : टीकमगढ़, मुरैना, छतरपुर, अशोकनगर, कटनी {सिकल सेल बेहतर : बालाघाट, बैतूल, झाबुआ, बड़वानी, धार कमजोर : सीधी, आलीराजपुर, डिंडोरी, रतलाम, उमरिया
गौशाला संचालन बेहतर : छतरपुर, अशोक नगर, गुना, धार और आगरमालवा। कमजोर : शिवपुरी, उज्जैन, दतिया, सीधी और सतना।