कमीशनखोरी ने ली 23 मासूम जानें:कफ सिरप… 89 रुपए की बोतल से कमीशन में 54 रुपए बंटे, 36 रुपए डॉ. सोनी के परिवार को

छिंदवाड़ा में कफ सिरप कोल्ड्रिफ से 23 बच्चों की मौत ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र को हिला दिया है। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में खुलासा हुआ है कि बच्चों को दी गई कोल्ड्रिफ सिरप को न सिर्फ बिना लैब टेस्ट के बाजार में उतारा गया, बल्कि इस पूरे नेटवर्क के पीछे कमीशनखोरी की लंबी चेन थी।
सिरप की कीमत का 60% हिस्सा कमीशन में बंटा। सबसे बड़ा फायदा बच्चों को यह दवा लिखने वाले डॉ. प्रवीण सोनी और उनके परिजनों को हुआ। कोल्ड्रिफ सिरप की एमआरपी 89 रुपए थी, लेकिन इसमें से 54 रुपए कमीशन में बंटा। कंपनी ने छिंदवाड़ा में सतीश वर्मा को बतौर एमआर नियुक्त किया था।
उसे 30% कमीशन मिलता था। वर्मा इसमें से 10% हिस्सा डॉ. सोनी को देता था। 20% रकम खुद रखता था। वर्मा 17 साल से सिरप कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स से जुड़ा था। कोल्ड्रिफ बिक्री में डॉ. सोनी का परिवार शामिल था। छिंदवाड़ा में स्टॉकिस्ट न्यू अपना मेडिकल स्टोर को 10% =कमीशन मिलता था। यह सोनी के भतीजे का था। परासिया में अपना मेडिकल स्टोर की संचालिका डॉ. सोनी की पत्नी ज्योति को 20% कमीशन दिया जाता था।
टेस्ट के लिए मशीनें नहीं थी, बिना जांच भेजी 946 बोतलें फैक्ट्री में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) जांच के लिए गैस क्रोमैटोग्राफी मशीन नहीं थी। बिना जांच सिरप पैक कर बाजार भेजा गया। 946 बोतलें मप्र, तमिलनाडु, पुडुचेरी और ओडिशा भेजी गईं। केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी ने पुलिस पूछताछ में यह स्वीकार किया। परासिया एसडीओपी जितेंद्र जाट ने बताया कि कोल्ड्रिफ सिरप मामले में डॉ. सोनी की पत्नी ज्योति की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगी हैं।
 
				




