देसी में है दम… तभी तो यह शख्स कर रहा करोड़ों रुपये की कमाई, जानें क्या है काम

नई दिल्ली: कौन कहता है कि देसी चीजों में दम नहीं है? एक बार आप उसे करिए तो सही, पैसा आना अपने आप शुरू हो जाता है। ऐसा ही कुछ किया है कोयंबटूर के रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) विकास कुमार ने। विकास कुमार केमिकल फ्री स्विमिंग पूल बनाते हैं। इसके जरिए वह आज करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं।
विकास कुमार अपने छोटे बेटे के लिए केमिकल-फ्री स्विमिंग पूल खोज रहे थे। उन्होंने देखा कि शहर के ज्यादातर पूल में क्लोरीन होता है। क्लोरीन त्वचा, बालों और फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है। विकास को अपने बचपन के गांव के नेचुरल तालाबों से प्रेरणा मिली। उन्होंने बिना सीमेंट और केमिकल के नेचुरल चीजों से स्विमिंग पूल बनाने का फैसला किया।
कैसे लिया फैसला?
विकास ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैं नहीं चाहता था कि मेरा बेटा हर बार तैरने के बाद चश्मा पहने, उसकी आंखें लाल हों और उसमें से ब्लीच की गंध आए।’ इसलिए विकास ने साधारण पूल से अलग कुछ करने का सोचा। उन्होंने तमिलनाडु के पोल्लाची में अपने फार्महाउस पर बिना सीमेंट, क्लोरीन या सिंथेटिक चीजों का इस्तेमाल किए नेचुरल, सेल्फ-क्लीनिंग स्विमिंग तालाब बनाया।
कंपनी बनाकर शुरू किया काम
सीए होने के बावजूद विकास को रिस्क पता थे। लेकिन उन्हें पर्यावरण और आर्थिक दोनों तरह से यह सही लगा। उन्होंने बायोस्फीयर नाम से एक कंपनी शुरू की। यह कंपनी इंडियन क्लाइमेट, मटेरियल और लाइफस्टाइल के हिसाब से बायो स्विमिंग पूल डिजाइन और बनाती है।
ये बैक्टीरिया और पौधे नेचुरल फिल्टर की तरह काम करते हैं। वे पानी से गंदगी निकालते हैं और उसे बैलेंस रखते हैं। इसके लिए किसी भी तरह के केमिकल या हर साल पानी बदलने की जरूरत नहीं होती है।
कितनी हो रही कमाई?
आज बायोस्फीयर सिर्फ एक आदमी की कंपनी नहीं है। यह एक बढ़ता हुआ बिजनेस है। यह पूरे भारत में इको-फ्रेंडली घर मालिकों, रिसॉर्ट और फार्महाउस को सर्विस देता है। एक नेचुरल स्विमिंग तालाब बनाने में लगभग 45 दिन लगते हैं। इसे कस्टमाइज भी किया जा सकता है। इसमें कोई तालाब, झरने और नेचुरल स्ट्रीम भी बनाए जा सकते हैं।
इन पूल को ज्यादा मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती है। इनमें कंक्रीट या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता है। ये लोकल बायोडायवर्सिटी को सपोर्ट करते हैं। उनका बिजनेस अब हर साल 3 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाता है।