दो साल में चार गुना बढ़ गया अडानी ग्रुप पर घरेलू बैंकों का कर्ज, हिंडनबर्ग रिसर्च के बाद कैसे बदला मामला!

नई दिल्ली: टाटा ग्रुप और रिलायंस के बाद अडानी ग्रुप देश का तीसरा बड़ा औद्योगिक घराना है। इसका बिजनस कई सेक्टर्स में फैला है और हाल के वर्षों में इसने तेजी से अपना कारोबार बढ़ाया है। लेकिन करीब दो साल पहले अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के बारे में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप पर शेयरों की कीमत में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। हालांकि ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया था लेकिन उसके शेयरों में भारी गिरावट आई। अब ग्रुप इस गिरावट से उबर चुका है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद ग्रुप में एक बड़ा बदलाव आया है।
कैश बैलेंस
अडानी ग्रुप की कुल उधारी में घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी 42 फीसदी है जबकि ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स की हिस्सेदारी 27 फीसदी है। ग्लोबल बैंकों की हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी है। सूत्रों का कहना है कि अडानी ग्रुप की बैलेंस शीट दुरुस्त है, इसलिए घरेलू बैंकों को उसे लोन देने में कोई दिक्कत नहीं है। सितंबर के अंत तक ग्रुप के पास 53,000 करोड़ रुपये से अधिक का कैश बैलेंस था।