नकली दवाओं पर नकेल कसने गठित होगी एन्फोर्समेंट सेल

छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से 25 मासूमों की मौत ने आखिरकार सरकार को झकझोर दिया। अब प्रदेश में दवा निगरानी व्यवस्था को नया चेहरा देने की तैयारी शुरू हो गई है।
डिप्टी सीएम डॉ. राजेंद्र शुक्ल ने भोपाल में रविवार को छुट्टी के दिन बैठक बुलाई। जिसमें कहा गया कि अब हर गोली, हर सिरप की जिम्मेदारी तय होगी। कोई भी दवा जांच के बिना बाजार या अस्पताल तक नहीं पहुंचेगी।
निगरानी के लिए बनेगा खास एन्फोर्समेंट सेल अब नकली या घटिया दवा बनाने और बेचने वालों की खैर नहीं। सरकार एक खास एन्फोर्समेंट और लीगल सेल बना रही है जो फील्ड से मिली रिपोर्ट के आधार पर तुरंत कार्रवाई करेगी। चाहे वह दवा जब्त करना हो या लाइसेंस रद्द करना।
इसमें काम करने वाले फील्ड से लेकर लैब तक काम करने वाले हर अफसर और कर्मचारी को ई-लर्निंग और ऑन-ग्राउंड ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे जांच की प्रक्रिया फास्ट, पारदर्शी और डिजिटल बनेगी।
हर जिले में बनेगा दवा मॉनिटरिंग सिस्टम अब दवाओं की जांच सिर्फ भोपाल, इंदौर या जबलपुर की लैब में नहीं होगी। सरकार हर जिले में लोकल ड्रग मॉनिटरिंग यूनिट बनाएगी।
यहां से लिए गए सैंपल की मौके पर जांच होगी और रिपोर्ट सीधे राज्य मुख्यालय को भेजी जाएगी। जिला अस्पतालों और मेडिकल स्टोर डिपो में क्वालिटी कंट्रोल डेस्क बनाए जाएंगे ताकि किसी भी संदिग्ध दवा को तुरंत पकड़ा जा सके।
फील्ड टीमों को मिलेंगे हैंडहेल्ड डिवाइस अब ड्रग इंस्पेक्टर को जांच के लिए लैब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्हें हैंडहेल्ड टेस्टिंग डिवाइस दिए जा रहे हैं, जिससे सिरप या टैबलेट की क्वालिटी मौके पर ही जांची जा सकेगी। इन डिवाइस से दवा में मिलावट या केमिकल असमानता तुरंत पकड़ में आ जाएगी।
नई भर्तियां और हाईटेक लैब के लिए दिया आदेश राज्य में डेटा एंट्री ऑपरेटर, सैंपलिंग असिस्टेंट, लैब असिस्टेंट और केमिस्ट के नए पद बनाए जा रहे हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की दवा लैब में एचपीएलसी, जीसीएमएसएम, एलसीएमएस, यूवी और माइक्रोबायोलॉजी टेस्टिंग यूनिट्स लगाए जाएंगे। यानी अब हर सैंपल की वैज्ञानिक और माइक्रो स्तर पर जांच होगी।
जवाबदेही से चलेगा सिस्टम उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने साफ कहा, अब कोई दवा आंख बंद करके नहीं बिकेगी। हर बैच, हर सैंपल की जवाबदेही तय होगी। जो गलती करेगा, वो बचेगा नहीं।
उन्होंने कहा कि नई योजना का मसौदा जल्द लागू किया जाएगा ताकि आगे किसी बच्चे की जान किसी जहरीले सिरप से न जाए। इस बार जांच और जवाबदेही दोनों फील्ड लेवल तक पहुंचाई जाएगी। ताकि गलती जहां हो, वहीं पकड़ी जाए।