कफ सिरप पीने से किडनी फेल, दो महीने कोमा में रहे, अब वेंटिलेटर से हटे पांच साल के कुणाल की हिम्मत को सैल्यूट है

छिंदवाड़ा: दो महीने से ज़्यादा समय से कोमा में रहे पांच साल के कुणाल यदुवंशी, जो मध्य प्रदेश में ज़हरीली कफ सिरप के शिकार हुए थे, अब ठीक होने के संकेत दे रहे हैं। AIIMS, नागपुर में इलाज करा रहे कुणाल को वेंटिलेटर सपोर्ट और कंटीन्यूअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (CRRT) से हटा दिया गया है। उन्हें इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) से भी बाहर सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।

अभी भी दिमाग पर असर

AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने बताया कि कुणाल अब सामान्य हवा में सांस ले रहे हैं, लेकिन सिरप में मौजूद ज़हरीले केमिकल का असर अभी भी उनके दिमाग पर है। डॉक्टरों का कहना है कि सिरप में ज़हर की ज़्यादा मात्रा के कारण उनका सेंट्रल नर्वस सिस्टम अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है। वे पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में ज़्यादा समय लग सकता है।

24 अगस्त को खराब हुई थी तबियत

कुणाल, जो छिंदवाड़ा के परसिया के रहने वाले हैं, को 24 अगस्त को खांसी और बुखार के लिए डॉ प्रवीण सोनी के क्लिनिक ले जाया गया था। वहां उन्हें कोल्डरिफ़ (Coldrif) नाम की दवा दी गई थी, जिसमें बाद में ज़हरीला इंडस्ट्रियल केमिकल डायथिलीन ग्लाइकॉल (diethylene glycol) पाया गया। 31 अगस्त को, इसी सिरप की वजह से कुणाल को किडनी फेलियर और दिमागी दिक्कतें हुईं, जिसके बाद उन्हें नागपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब परिवार के पैसे खत्म हो गए, तो 11 सितंबर को उन्हें AIIMS नागपुर शिफ्ट कर दिया गया।

एमपी सरकार से मिले एक लाख

सोमवार को जब हमारे सहयोगी ने अस्पताल का दौरा किया, तो कुणाल जागे हुए लग रहे थे और अपने हाथ-पैर हिला रहे थे। कभी-कभी वे अपना सिर भी घुमा रहे थे, लेकिन अभी बोल या चल नहीं पा रहे हैं। जब भी वे हिलते हैं, उनका सिर तकिए से फिसल जाता है। उनके माता-पिता, टिंकू और लक्ष्मी यदुवंशी, बारी-बारी से उनके बिस्तर के पास बैठे रहते हैं। उन्होंने प्राइवेट अस्पताल में 6 लाख रुपये से ज़्यादा खर्च कर दिए हैं, जबकि MP सरकार ने अब तक 1 लाख रुपये की मदद दी है।

पिता की गई नौकरी

टिंकू, जो एक फाइनेंस फर्म में काम करते थे, अपनी नौकरी खो चुके हैं। उनकी 7 साल की बड़ी बेटी, दिव्यांशी, इतने समय से अपने माता-पिता से नहीं मिली है और अपने दादा-दादी के साथ रह रही है। लक्ष्मी ने बताया, ‘प्रोटोकॉल के हिसाब से, हमें वार्ड में बिस्तर के पास ज़मीन पर सोने की इजाज़त नहीं है। इसलिए, हम में से एक रुकता है और दूसरा आराम करने के लिए तय जगह पर चला जाता है।’

24 बच्चों ने तोड़ा दम

अब तक, तमिलनाडु की कंपनी Sresan Pharmaceuticals Ltd. द्वारा बनाई गई इस ज़हरीली सिरप की वजह से नागपुर के अस्पतालों में पांच साल से कम उम्र के 24 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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