मध्यप्रदेश में पहली बार BMHRC में एआई की मदद से होगा मानसिक बीमारियों का इलाज

भोपाल। भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई की मदद से मानसिक रोगियों की जांच और उपचार किया जाएगा। इसके लिए एआई के क्षेत्र में काम करने वाली कनाडा की कंपनी आरेंज न्यूरोसाइंसेज़ और बीएमएचआरसी ने एक समझौता किया है। गुरुवार को बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक मनीषा श्रीवास्त्व और आरेंज न्यूरोसाइंसेज़ के अध्यक्ष विनय सिंह ने इस पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत बीएमएचआरसी और आरेंज न्यूरोसाइंसेज़ इन एआई टूल्स की मदद से मानसिक रोग के क्षेत्र में रिसर्च भी करेंगे। इस तरह बीएमएचआरसी मध्यप्रदेश का पहला और एकमात्र संस्थान बन गया है, जहां एआई की मदद से मनोरोगियों की जांच और उपचार होगा।
एआई टूल्स या बेव बेस्ड प्लेटफार्म समझेंगे बीमारी
प्रभारी निदेशक डा मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि पूरी दुनिया में मानसिक रोगियों की पहचान और उपचार के लिए अब तक परंपरागत तरीकों जैसे बातचीत करना, फार्म भरना, काउंसलिंग करना आदि का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिये कई बार मरीज को होने वाली मानसिक बीमारी या समस्या की पहचान करने में ही काफी वक्त लग जाता है। मरीज का बार—बार अस्पताल आना भी अपने आप में चुनौती होता है। अब ऐसे एआई टूल्स या बेव बेस्ड प्लेटफार्म तैयार हो गए हैं, जो मरीज की बीमारी को समझने में मदद करते हैं। ये टूल्स वीडियो गेम की तरह होते हैं। इन एआई टूल्स की मदद से डिप्रेशन, एटेंशन डिफेसिट हाइपर डिसआर्डर, आटिज्म, डिसलेक्सिया आदि कई बीमारियों के उपचार किया जा सकेगा।
मरीजों के लक्षण के आधार पर होगा इस्तेमाल
- मरीज के लक्षण के आधार पर संबंधित एआई टूल्स के एप्लिकेशन को मरीज को इस्तेमाल करने दिया जाता है। इस दौरान यह एप्लिकेशन मरीज़ की हर गतिविधि को रिकार्ड करता है।
- सेशन पूरा हो जाने के बाद यह ऐप्लिकेशन मरीज की एक्टिविटी का विश्लेषण करता है और इसके अनुसार अपने रिजल्ट देता है।
- इस तरह एक बार मरीज की बीमारी की पहचान हो गई तो एआई बेस्ड अन्य टूल्स इसी तरह की एक्टिविटी के जरिए मरीज़ के उपचार की मदद करते हैं।
- आरेंज न्यूरोसाइंसेज ने भी इस तरह के बेव बेस्ड प्लेटफार्म तैयार किए हैं, जिनका देश में चुनिंदा स्थानों पर प्रयोग किया जा रहा है।
- बीएमएचआरसी को आरेंज न्यूरोसाइंसेज़ इन एआई टूल्स और एप्लिकेशन को निशुल्क इस्तेमाल करने की इजाज़त देगा। अस्पताल के सभी मनोचिकित्सक एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक इसका इस्तेमाल कर पाएंगे।
डिजिटल काग्निटिव थेरेपी सेंटर बनेगा
मनोचिकित्सा विभाग में नैदानिक मनोवैज्ञानिक रूपेश रंजन ने बताया कि सभी कार्यों के लिए विभाग में एक अलग डिजिटल काग्निटिव थेरेपी सेंटर बनाया जा रहा है। जहां मरीजों की जांच एवं उपचार किया जाएगा। आरेंज न्यूरोसाइंसेज इस सेंटर की स्थापना में मदद करेगा और विभाग के सभी चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को प्रशिक्षित करेगा। हालांकि इन एआई टूल्स का इस्तेमाल करने के लिए इस सेंटर के बनने का इंतजार नहीं किया जाएगा। उपलब्ध संसाधनों के साथ ही इन एआई टूल्स से मरीजों का उपचार शुरू कर दिया जाएगा।
एआई के इस्तेमाल से होंगे ये फायदे
- बीमारी की पहचान जल्दी होगी, जल्द उपचार मिलेगा
- उपचार की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। सटीक नतीजे मिलेंगे।
- मरीज को बार—बार अस्पताल नहीं आना पड़ेगा।
- मनोचिकित्सक अधिक मरीजों को परामर्श दे पाएंगे और उपचार कर पाएंगे।