UNSC में दोस्‍त फ्रांस ने भारत की स्थायी सदस्यता का किया खुला समर्थन, वीटो पॉवर देने की भी सिफारिश, पूरी होगी मुराद?

न्यूयॉर्क/पेरिस: फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानि UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। फ्रांस ने कहा है कि वो भारत के लिए स्थायी सदस्यता के साथ साथ वीटो पॉवर के लिए भी अपना समर्थन देता है। आपको बता दें कि फ्रांस हमेशा से भारत की यूएनएससी दावेदारी का समर्थन करता रहा है और दोनों देशों के बीच के संबंध काफी मजबूत हैं। फ्रांस और भारत की डिफेंस पार्टनरशिप भी पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट भी खरीदे थे।

फ्रांस के बयान में कहा गया है कि "इस संबंध में फ्रांस का रुख हमेशा एक जैसा रहा है। इस सुधार के तहत अफ्रीका को दो सीटें मिलनी चाहिए, क्योंकि उसकी जनसांख्यिकीय स्थिति और वहां परिषद की कार्रवाई की आवश्यकता वाली स्थितियों की संख्या को देखते हुए, साथ ही "ग्रुप ऑफ 4" के प्रत्येक सदस्य – ब्राज़ील, जर्मनी, भारत और जापान को एक-एक सीट मिलनी चाहिए, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इन देशों की जिम्मेदारियां हैं। इनमें से प्रत्येक को इस दर्जे से जुड़े विशेषाधिकार, विशेष रूप से वीटो का अधिकार, हमारे चार्टर की भावना के अनुरूप प्रदान किया जाएगा।"

भारत को क्यों नहीं बन पाया है स्थायी सदस्य?
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानि UNSC में कुल 15 सदस्य होते हैं। जिनमें 5 स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन स्थायी सदस्य हैं और इनके पास वीटो पॉवर है। वहीं, अस्थायी सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं और वे क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए चुने जाते हैं। सुरक्षा परिषद का ढांचा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1945 में बना था, जब वैश्विक शक्ति-संतुलन कुछ चुनिंदा देशों के हाथ में था। UNSC वैश्विक शांति और सुरक्षा से जुड़े फैसले लेता है, जैसे प्रतिबंध लगाना, शांति मिशन भेजना या सैन्य कार्रवाई को मंजूरी देना। ये काफी प्रमुख जियो-पॉलिटिकल मंच है।
लेकिन भारत आज तक UNSC का स्थायी सदस्य नहीं बन पाया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि सुरक्षा परिषद में सुधार पर स्थायी देशों के बीच सहमति नहीं बनती है। चीन, भारत के स्थायी सदस्य बनने का विरोध करता है, जबकि अन्य देशों के भी अपने-अपने रणनीतिक हित जुड़े हुए हैं। हालांकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, प्रमुख अर्थव्यवस्था, परमाणु शक्ति और शांति मिशनों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, फिर भी सुधार प्रक्रिया राजनीतिक मतभेदों की वजह से अटकी हुई है
रूस के ऑफर में क्या-क्या है?
Wion की रिपोर्ट में रूसी अधिकारी ने कहा है कि "कुछ साझेदारों के विपरीत, रूस कभी भी जियो- पॉलिटिकल हालातों के बदलने की वजह से फाइटर जेट के पार्ट्स, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और फाइटर जेट के अपग्रेडेशन के काम को नहीं रोकेगा।" उन्होंने कहा कि "एसयू-57 के निर्माण का मतलब है सभी महत्वपूर्ण पूर्जों का निर्माण। बिना इस डर के कि प्रतिबंधों की वजह से आपको कुछ नहीं मिलेगा।" इसके अलावा रूस के प्रस्ताव में "लाइसेंस प्रोडक्शन के स्तर में क्रमिक वृद्धि" की बात कही गई है, जो अंत में पूरी तरह से स्थानीयकरण तक पहुंचेगी।
रूस का प्रस्ताव ऐसे वक्त पर आया है जब भारत पहले ही रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बना चुका है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ मई संघर्ष में शानदार प्रदर्शन किया था। इसके अलावा भारत, लाइसेंस के तहत Su-30MKI लड़ाकू विमानों का निर्माण करता है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने एडवांस हथियारों के लिए यूरोप, इजरायल और अमेरिका की तरफ भी रूख किया है। भारत ने फ्रांस से राफेल फाइटर जेट खरीदे हैं।

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