गजनवी, अब्दाली… तालिबान के हमले से बौखलाए पाकिस्तानी, अपनी ही मिसाइलों के नाम बदलने की करने लगे मांग, मानेंगे मुनीर?

इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच छह दिनों की लड़ाई बुधवार शाम को हुए युद्धविराम के बाद भले ही रुक गई है, लेकिन पाकिस्तानी सेना के लिए पैदा हुई शर्मिंदगी शायद ही कभी खत्म हो। झड़पों के दौरान अफगानिस्तान के तालिबान सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के जवानों को मारा, बल्कि उनके टैंक और बख्तरबंद वाहन तक कब्जा कर लिया। तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों को मारने के बाद उनकी पैंट तक उतार ले गए और अफगानिस्तान के अंदर उन्हें विजय परेड में दिखाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर आ रही इन तस्वीरों को देखकर पाकिस्तानी तिलमिला उठे हैं। इसके बाद तो पाकिस्तान में अपनी ही मिसाइलों के नाम बदलने की मांग उठने लगी है।
पाकिस्तान में ज्यादातर हथियारों के नाम अफगानिस्तान के उन शासकों के नाम पर रखे गए हैं, जिन्होंने इतिहास में भारत की जमीन पर हमला किया था। गजनी, गोरी और अब्दाली जैसी मिसाइलें अफगान हमलावर शासकों के नाम पर ही रखी गई हैं। असल में पाकिस्तान के अपनी मिसाइलों के नाम अफगान योद्धाओं के नाम पर रखने के पीछे भारत को चिढ़ाने की मंशा रही है लेकिन अब उसकी यह करतूत उसके लिए ही शर्मिंदगी बन गई है।
अफगान लड़ाकों के नाम पर मिसाइलों के नाम
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने अपने एक टॉक शो में इसका जिक्र किया और कहा कि अफगानिस्तान हम पर हमले कर रहा है और हमने अपनी मिसाइलों को उनके ही शासकों का नाम दे रखा है। मीर ने कहा, हमारे पास एटमी हथियार के साथ ही इन्हें ले जाने वाली मिसाइलें भी हैं। हमारे पास गजनवी मिसाइल, गोरी मिसाइल और अब्दाली मिसाइल है। महमूद गजनवी, शहाबुद्दीन गोरी और अहमद शाह अब्दाली, इन तीनों का ताल्लुक अफगानिस्तान से है। अहमदशाह अब्दाली को तो आज के अफगानिस्तान का संस्थापक कहा जाता है।
ख्वाजा आसिफ ने गजनवी को बताया था लुटेरा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पिछले साल एक बयान दिया था जिसने पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक सुर्खियां बटोरी थीं। आसिफ ने एक टीवी चैनल पर कहा था कि महमूद गजनवी को पाकिस्तान में हीरो की तरह बताया जाता रहा है, लेकिन मैं उसे हीरो नहीं मानता। आसिफ ने कहा कि महमूद गजनवी एक डाकू-लुटेरे की तरह था, जो यहां लूटपाट करने आता था और माल लूटकर चला जाता था।