हाईकोर्ट में केस दायर करने को लेकर सरकार का फैसला:महाधिवक्ता या शासकीय अधिवक्ता के एडवाइस बगैर कोर्ट में केस नहीं लगा सकेंगे अफसर

कोर्ट में अपील या याचिका पेश करने से इनकार करने के मामले में महाधिवक्ता कार्यालय को राज्य शासन ने गंभीरता से लेते हुए कहा है कि अगर किसी मामले में महाधिवक्ता कार्यालय इससे इनकार करे तो राज्य शासन को इसकी जानकारी दी जाए। राज्य शासन ऐसे मामलों में याचिका या अपील दायर करने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय को लिखेगा। इसके साथ ही सभी विभागों से यह भी कहा गया है कि कोई भी विभाग महाधिवक्ता कार्यालय या शासकीय अधिवक्ता के अभिमत बगैर हाईकोर्ट में अपील या याचिका दायर नहीं करेगा। इसका सख्ती से पालन न करने वालों पर कार्यवाही होगी।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागों को लिखे पत्र में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका, अपील या रिव्यू, रिवीजन आदि दायर करने के संबंध में सरकार के निर्देशों का सख्ती से पालन करें।

दरअसल हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ ने 20 मई 2025 को जारी आदेश और 13 दिसम्बर 2023 की रिट याचिका क्रमांक 16057/2020 के मामले में दिए आदेश में शासन को निर्देशित किया था कि किसी भी विभाग द्वारा दायर की जाने वाली याचिका, अपील, पुनर्विलोकन (रिव्यू) या रिवीजन आवेदन महाधिवक्ता कार्यालय की अनुमति और शासकीय अधिवक्ता की राय हासिल किए बिना तथा विधि विभाग की सहमति के बिना दायर नहीं की जाए। इसी का पालन करने के निर्देश जीएडी ने सभी कलेक्टरों, संभागायुक्तों, विभागाध्यक्षों, सभी जिला पंचायतों के सीईओ को दिए हैं।

जीएडी ने कहा है कि बिना अधिवक्ता कार्यालय या शासकीय अधिवक्ता के लीगल एडवाइस और विधि विभाग की सहमति के बगैर राज्य सरकार की ओर से या राज्य शासन के विरुद्ध किसी भी प्रकार के वाद, याचिका, अपील (सिविल या अपराधिक) दायर नहीं किए जा सकेंगे।

सभी विभागों से यह भी कहा गया है कि अगर महाधिवक्ता कार्यालय या संबंधित शासकीय अधिवक्ता यह अभिमत देते हैं कि केस कोर्ट में ले जाने के योग्य नहीं है तो संबंधित विभाग या कार्यालय इस एडवाइस को नोटशीट में दर्ज कर संबंधित प्रशासकीय विभाग की स्वीकृति लेने के लिए भेजेंगे।

यह प्रस्ताव प्रभारी अधिकारी को भेजा जाएगा जो महाधिवक्ता कार्यालय से संपर्क कर शासन की ओर से याचिका या अपील पेश करेगा। इस स्थिति में महाधिवक्ता कार्यालय इस याचिका या अपील को दायर करने से इनकार नहीं कर सकेगा। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी दशा में राज्य शासन के विरुद्ध या उसकी ओर से कोई निजी अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से कोई अपील या याचिका पेश नहीं करेगा।

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