नौ माह पहले मांगी थी हर्षी नहर करप्शन की डिटेल:ईडी के पत्र पर अब एक्टिव हुआ जल संसाधन विभाग

केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भोपाल विंग द्वारा हर्षी नहर निर्माण में 16 साल पहले ईओडब्ल्यू द्वारा की गई एफआईआर के मामले में जल संसाधन विभाग से जानकारी मांगी है। सरकार करप्शन के मामलों में एक्शन को लेकर कितनी लापरवाह है, इसका अंदाजा ईडी के पत्र से लगाया जा सकता है जिसमें ईडी द्वारा जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ को 24 अक्टूबर 2024 को पत्र लिखकर करप्शन के मामले में जानकारी देने के लिए कहा गया था। अब जल संसाधन विभाग ने इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर जानकारी देने के लिए कहा है।

जल संसाधन विभाग के इंजीनियर जेएन गनावडिया और अन्य के विरुद्ध ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने साल 2009 में करप्शन का केस दर्ज किया था और इसके बाद 2011 में इस मामले में चालान भी पेश कर दिया गया है। अब ईडी इस मामले की जांच कर रही है और पूरे मामले की तह तक पहुंचने के लिए नहर निर्माण की डीपीआर से लेकर सामग्री खरीदी, बिल और भुगतान की पूरी जानकारी देने को कहा है। इस पूरे मामले में राजघाट नहर परियोजना दतिया के मुख्य अभियंता से भी जानकारी चाही गई थी लेकिन ईडी को यह जानकारी अब तक नहीं मिलना बताई जा रही है।

ईडी ने मांगे हैं ये दस्तावेज

  • पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत जो जानकारी जल संसाधन विभाग से मांगी गई थी उसमें कहा गया था कि हर्षी उच्च स्तरीय नहर परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (सिंध परियोजना के भाग 2 का खंड 1) दस्तावेजों के साथ दी जाए।
  • जल संसाधन विभाग के उन अधिकारियों ब्यौरा दिया जाए जो इस नहर निर्माण परियोजना में शामिल हैं और सप्लायरों को बिल भुगतान के निरीक्षण और अन्य कामों में उनकी भूमिका है।
  • हर्षी उच्च स्तरीय नहर के लिए आवश्यक सामग्री की खरीद के संबंध में मूल अनुमान और संशोधित अनुमान के अंतर्गत प्रावधानों का ब्यौरा सहायक दस्तावेजों के साथ दिया जाए।
  • हर्षी उच्च स्तरीय नहर की स्वीकृति और नवीनीकरण की मंजूरी के संबंध में जारी पत्रों, अनुमोदनों का ब्यौरा दिया जाए।
  • हर्षी उच्च स्तरीय नहर के लिए आवश्यक सामग्री की खरीद के संबंध में जारी टेंडर का ब्यौरा दिया जाए।
  • सप्लायर ने जो सामग्री सप्लाई की है, उसकी पूरी जानकारी दी जाए।
  • हर्षी उच्च स्तरीय नहर के लिए उपयोग में लाई गई सामग्री की खरीद से संबंधित बिलों का ब्यौरा दिया जाए।
  • जिस खाते में सप्लायर को पेमेंट किया गया है उसकी डिटेल दी जाए।
  • नहर निर्माण कराने वाले इंजीनियरों के विरुद्ध की गई इंटरनल जांच या विभागीय जांच की फाइनल रिपोर्ट दी जाए।
  • अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया जाए जो अधिकारी निर्माण कार्य में शामिल हैं और जिनके विरुद्ध 2009 में ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर क्रमांक 29 दर्ज की गई है।
  • इसके कारण राज्य सरकार को हुए नुकसान का ब्यौरा भी देने के लिए कहा गया है।

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