अमेरिका-चीन जैसी प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों का कैसे दोस्त बना पाकिस्तान, सऊदी भी आया साथ, जिन्ना के देश को बेच रहे मुनीर-शहबाज?

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व और नागरिक सरकार ने लगातार एक्सपर्ट का ध्यान खींचा है। इसकी वजह पाकिस्तान का अमेरिका और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों के साथ कामयाबी के साथ समन्वय बैठाना है। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से 8.5 अरब डॉलर के नए निवेश हासिल किए हैं। वहीं अमेरिका को बलूचिस्तान के पासनी में बंदरगाह विकसित करने की पेशकश की है, जो देश के खनिज संसाधनों तक पहुंचने का एक मार्ग बन सकता है। इनके अलावा अरब की बड़ी ताकत सऊदी से भी पाकिस्तान ने हाल ही में रक्षा डील की है।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो मिहिर शर्मा ने ब्लूमबर्ग में अपने लेख में कहा है कि पाकिस्तान के नेताओं ने दो प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों को इस तरह से प्रबंधित करने का तरीका खोज निकाला है, जो कहीं अधिक स्थिर देशों के लिए संभव नहीं लगता। वे अमेरिका को अपनी अर्थव्यवस्था में एक ऐसी जगह देने का वादा कर रहे हैं, जो चीन पर असर ना डाले। चीन के लिए भी वह ऐसा ही कर रहे हैं। बहुध्रुवीय दुनिया के प्रति उनकी प्रतिक्रिया हर ध्रुव को हिस्सेदारी देना है
पाकिस्तान की सेना और सरकार
पाक पीएम शहबाज शरीफ ने पिछले महीने बीजिंग का दौरा किया। बीजिंग ने इस दौरान पाकिस्तान 8.5 अरब डॉलर के नए निवेश की घोषणा की। खास बात यह है कि अमेरिका से लाभ लेते हुए पाकिस्तान ने चीन से निवेश हासिल किया है। दूसरी ओर चीन पर उसकी निर्भरता और सऊदी अरब के साथ घनिष्ठता ने वॉशिंगटन को निराश नहीं किया है। डोनाल्ड ट्रंप की हाल के महीनों में दो बार पाक सैन्य प्रमुख असीम मुनीर से मुलाकात हुई है।
सबको खुश कर रहा पाक
पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान के पसनी में बंदरगाह विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह आंतरिक खनिज संसाधनों तक पहुंच के लिए है, जिसका वादा मुनीर वाइट हाउस में कर चुके हैं । यह प्रस्ताव पाकिस्तान की ‘सबको खुश करने’ की रणनीति का एक रूप है। पसनी नाम का यह मछली पकड़ने वाला गांव चीन संचालित ग्वादर बंदरगाह से सिर्फ 110 किलोमीटर है।
पैसे कमाने का खेल
पाकिस्तान की रणनीति में पैसे का खेल है। मिसौरी स्थित यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स ने सेना संचालित कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन के साथ 500 मिलियन डॉलर की डील की है। एशियाई विकास बैंक ने बैरिक माइनिंग कॉर्पोरेशन की रेको डिक खदान के लिए 41 करोड़ डॉलर का पैकेज तैयार किया है। यह ईरानी सीमा के पास पासनी से 400 किलोमीटर उत्तर में है। अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम दुनिया के सबसे बड़े तांबे और सोने के भंडारों में से एक को विकसित करने के लिए 40 करोड़ डॉलर और जोड़ेगी।
संप्रभुता को दांव पर लगाया
पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सफल नहीं हो सका है। हालांकि उसने अपने संसाधन में संकोच नहीं दिखाया है। अपनी संप्रभुता दांव पर लगाते हुए वह आईएमएफ से कर्ज ले रहा है। अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को सऊदी अरब से साझा कर रहा है। अपने ऊर्जा ढांचे को चीनियों को गिरवी रखने और अमेरिकियों को खनिज सौंपने से पाकिस्तान को परहेज नहीं है। ऐसा लगता है कि मुनीर और शरीफ ने देश के खजाने का ‘उपयोग’ करना अच्छे से सीख लिया है।