चंबल के गुल्लखेरा गांव में डेंगू का भारी विस्फोट, अब तक 300 से अधिक लोग बीमार

चंबल

 चंबल अंचल में इन दिनों डेंगू के डंक का भारी प्रकोप देखने को मिल रहा है। मुरैना जिले के एक गांव गुल्लखेरा में तो डेंगू बुखार ने भयंकर कहर बरपा रखा है। अकेले इस गांव में ही अब तक 300 से अधिक लोगों के डेंगू की चपेट में आने से स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के भी हाथ-पैर फूल गए हैं।

बता दें कि, गांव गुल्लखेरा में डेंगू बुखार पूरी तरह से अपने पैर पसार चुका है। इस गांव की आबादी लगभग 500 से 600 के करीब है जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत तक लोग डेंगू बुखार से बीमार हैं। यहां अब शाय ही कोई घर ऐसा बचा हो, जिसमें कोई बीमार नहीं है।

ग्रामीणों  का कहना है कि यह बुखार जब घर में एक व्यक्ति को आता है जैसे ही उसे डॉक्टर को दिखाकर अस्पताल से लौटते हैं तो दूसरा व्यक्ति बीमार हो जाता है। ऐसे ही यह क्रम लगातार बढ़ता गया और अब गांव की 50 प्रतिशत आबादी इस बीमार की चपेट में आ गई है।

गांव के लोगों ने कहा कि इस बीमारी के कारण पहले दिन हाथ-पैरों में दर्द होता है और ठंड के साथ बुखार आता है। बुखार की दवाई से भी आराम नहीं मिलता है और दूसरे दिन प्लेटलेट्स डाउन हो जाती है और बीमारी बढ़ती ही चली जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि जब हमने इस बारे में सरपंच और बीएमओ पहाड़गढ़ से शिकायत की कोशिश की, लेकिन, उन्होंने फोन नहीं उठाया और अब यह बीमारी बढ़ती ही चली जा रही है। अभी तक कोई भी जांच टीम गांव में नहीं पहुंच पाई है और ना ही हमें कोई भी इलाज मिल पाया है। सभी लोग प्राइवेट डॉक्टरों से दवा लेकर परेशान हो चुके हैं और इलाज के लिए भी पैसे नहीं बचे।

गांव की कुछ बुजुर्ग महिलाओं का कहना है हमारी शादी को इस गांव में 50 साल हो गए, लेकिन आज तक ऐसी बीमारी इस गांव में नहीं फैली। पता नहीं अबकी बार कौन सी महामारी फैली है जो रुकने का नाम नहीं ले रही है। बता दें कि, गुल्लखेरा गांव में बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग सब बीमार हैं और हर परिवार में 50 प्रतिशत लोग डेंगू के डंक का शिकार हो चुके हैं। इसके चलते खेतीबाड़ी का भी बाधित हो रहा है। बीमारी के साथ खेतों में खड़ी फसल ने ग्रामीणों की चिंता और बढ़ा दी है। बुखार के कारण किसान फसल भी नहीं काट पा रहे है, जिसके कारण इन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

वहीं, इस मामले में जिला सीएमएचओ राकेश शर्मा का कहना है कि हम आज ही जांच टीम गांव में भेज रहे हैं और गांव में कैंप लगाकर मरीजों का इलाज तुरंत चालू किया जा रहा है।  

 

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