MP के नए मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत में अड़चनें, 2025 सत्र से काम टलने की संभावना, जानें कहां कितना काम है अधूरा?

भोपाल। मध्यप्रदेश में प्रस्तावित आठ नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत एक बार फिर टलती नजर आ रही है। जुलाई 2025 से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र में इन कॉलेजों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) से मान्यता मिलने की उम्मीद फिलहाल धुंधली है। इसकी प्रमुख वजह है – अधूरी इमारतें और स्टाफ की भारी कमी।

MCI के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी नए मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए कम से कम 80% निर्माण कार्य और 50% फैकल्टी की नियुक्ति अनिवार्य है। लेकिन प्रदेश के अधिकतर नए कॉलेज इस स्तर तक अभी नहीं पहुंचे हैं।

कहां कितना काम अधूरा है?

उज्जैन: अब जाकर निर्माण कार्य की शुरुआत हुई है।

दमोह व मंडला: सिर्फ 40–50% काम हुआ है।

छतरपुर व राजगढ़: लगभग 50–70% कार्य पूर्ण।

सिंगरौली व श्योपुर: निर्माण लगभग पूरा, जल्द नामांकन की उम्मीद।

बुदनी: 80% निर्माण के करीब, सबसे आगे।

फैकल्टी और सुविधाओं की कमी

इन कॉलेजों में डॉक्टर, प्रोफेसर, लैब टेक्नीशियन और अन्य मेडिकल स्टाफ की नियुक्तियां भी तय मानकों के अनुसार नहीं हो सकी हैं। इसके अलावा, हॉस्टल, ऑपरेशन थिएटर, लैब, बिजली-पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी कई जगह अधूरी हैं, जो MCI की मान्यता के लिए जरूरी मानी जाती हैं।

PPP मॉडल की ओर सरकार का रुख

सरकार अब इन कॉलेजों को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत विकसित करने पर विचार कर रही है, ताकि निर्माण और स्टाफिंग की गति तेज हो सके। इसके लिए जल्द टेंडर जारी करने की संभावना जताई गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button