शहरी और पंचायत क्षेत्र में गौठानों हेतु भूमि चयन के प्रस्ताव तत्काल भेजें : कलेक्टर कुणाल

दंतेवाड़ा। जिला कार्यालय के डंकनी सभाकक्ष में आज कलेक्टर कुणाल दुदावत द्वारा राज्य शासन की गोधाम योजना, आवारा मवेशियों के कारण हो रही दुर्घटनाओं, की रोकथाम के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया कि घुमन्तु पशुओं के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी, गौवंशी पशुओं के साथ हो रही पशु क्रूरता को रोकने, विस्थापित पशुओं का बेहतर रखरखाव कर उनका बहुउन्मुखीय उपयोगिता को सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने गोधाम योजना का ज्रिक करते हुए कहा कि गौ सेवा आयोग नियम 2005 के तहत जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गोधाम स्थापित किये जायेंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से भिन्न होंगे। छ.ग. कृषक परिक्षण नियम 2014 अंतर्गत जब्त गोवंशीय पशुओं को ही विस्थापित किया जायेगा। और ऐसे पूर्व गौठानों में स्थापित होंगे जहां पहले से ही मूलभूत अधोसंरवना विकसित हो।
गोधाम योजना के अनुसार जब्त गौवंशीय पशुओं को ही विस्थापित किये जाने, उनके गौ उत्पादों को बढ़ावा, चारा विकास कार्यक्रम विकसित, पशु नस्ल सुधार, जन-जन को गौ सेवा के लिये प्रेरित किये जाने, रोजगार उपलब्ध कराने जैसे महती कारण रहेगें। इसके अलावा प्रत्येक गोधाम में अधिकतम केवल 200 गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे। जिला स्तरीय समिति एवं विकासखण्ड स्तरीय समिति द्वारा स्थापित गोधाम का क्रियान्वयन किया जा सकेगा। गौशाला पंजीकृत समिति, स्वयंसेवी संस्था, एन.जी.ओ. एवं सहकारी समिति का संचालन आवेदन स्वीकार किया जावेगा। गोधाम संचालन हेतु चयनित संस्था का दायित्व गोधाम में पशुओं के चारा नियमित से उपलब्ध कराने के साथ-साथ व्यवस्था एवं सुचारू संचालन हेतु 01-01 चरवाहे एवं वर्कर रखे जाएगें। जिसमें चरवाहे और वर्कर को मानदेय दिया जाएगा। गोधाम को पशु पोषण आहार हेतु 10 प्रति पशु प्रतिदिन के दर से अनुदान दिया जावेगा। प्राप्त आवेदनों का समिति के सहमति से गौ सेवा आयोग को प्रस्ताव प्रेषित किया जावेगा। पंजीकृत उपरांत संचालन की सहमति प्रदान की जावेगी।
बैठक में कलेक्टर ने गौधाम योजना के संबंध में ग्राम सभाओं में चर्चा किए जाने, पशुपालकों को अपने पशुओं को खुला न छोड़ने हेतु समझाइश दिए जाने, चेतावनी के बाद भी खुले में पशु छोड़ने वाले पशुपालकों के प्रति जुर्माने, शहरी क्षेत्रों में शहरी गोधाम हेतु भूमि चिन्हांकन, ’’काउ केचर’’ गाड़ियों की व्यवस्था, उसके नगर के अलावा नगरोत्तर क्षेत्रों में भी उपयोग किया जाने, घुमन्तु पशुओं के रोकथाम के लिए सामान्य प्रस्ताव लाने, दुर्घटनाओं में जख्मी पशुओं के उपचार, तथा इस संबंध में अन्य विभागों का पशुधन विभाग से जरूरी समन्वय, टोल टैक्स नाकों जैसी जगहों में नियमित रूप से बैठने वाले मवेशियों को हटाने के लिए संबंधित विभागों की जिम्मेदारी, तथा पशु जनित दुर्घटना के संबंध में आपदा प्रबंधन एवं स्वास्थ्य विभाग को आपसी समन्वय के साथ प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी कहा कि घुमन्तु पशुओं के लिए रेडियम पटटी एवं कॉलर लगाने के प्रस्ताव पषुधन विभाग द्वारा तत्काल प्रस्तुत किया जाए। साथ ही एनएच मार्गो के किनारे स्थित पंचायत एवं नगरीय निकाय सभावित पषु विचरण स्थल का चिन्ंहांकन कर चेतावनी बोर्ड लगाएं इसके साथ ही जिले में पषु दुर्घटना से संबंधित टोल फ्री नम्बर भी जारी होगे। बैठक में अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, नगरीय निकाय, पुलिस, जनपद सहित ग्रामीण जनप्रतिनिधि एवं संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।