भारत और रूस का दुनिया को साफ संदेश.. पुतिन के दिल्ली दौरे से खुश हुआ चीन का सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स, जमकर तारीफ

बीजिंग: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। गुरुवार 4 दिसम्बर को शाम में जब वह नई दिल्ली में अपने हवाई जहाज से उतरे तो उनके स्वागत के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर पहुंचे थे। यह दोनों देशों के साथ ही दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी भरे रिश्ते का प्रमाण है। फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन का पहला भारत दौरा है। इसके पहले वाला 6 दिसम्बर 2021 को भारत आए थे। पुतिन का यह दौरा भारत और रूस के बीच अक्टूबर 2000 में शुरू हुई रणनीतिक साझेदारी के 25वें साल में हो रहा है, जो इसे और खास बना देता है। एक और खास बात यह भी है कि पुतिन के भारत दौरे से चीन खूब खुश है। चीन में शी जिनपिंग का भोंपू माने जाने वाले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइ्म्स ने जमकर तारीफ की है।

भारत और रूस का साफ संदेश

चीनी अखबार ने एक्सपर्ट के हवाले बताया है कि भारत और रूस ने अमेरिका और पश्चिम को साफ संदेश दिया है कि दबाव के बावजूद दोनों में से कोई देश अलग-थलग नहीं है। चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैडोंग ने कहा कि ‘भारत-रूस का रिश्ता बहुत रणनीतिक है और बाहरी दबाव या दखल को झेलने में बहुत मजबूत है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और भारत के बीच तालमेल और सहयोग का एक साफ इरादा है। दोनों देश अपनी स्वतंत्र और ऑटोनॉमस क्षमताओं को और मजबूत करने का पक्का इरादा रखते हैं। ली ने कहा, ‘पुतिन के दौरे के जरिए भारत और रूस ने बाहरी दुनिया को एक साफ संदेश दिया है कि कोई देश अलग-थलग नहीं है। इसके उलट दोनों पक्षों का आपस में बहुत सहयोग और मजबूत पूरकता मिली हुई है। इसका मतलब है कि रूस और भारत के खिलाफ अमेरिका और पश्चिम के प्रतिबंध और दबाव के कामयाब होने की उम्मीद कम है।

रूस और भारत पीछे नहीं हटेंगे

पुतिन का भारत दौरा मंगलवार को क्रेमलिन में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से उनकी बैठक के बाद हुआ है। बैठक से पहले पुतिन ने चेतावनी दी थी कि अगर यूरोप चाहे तो रूस संभावित युद्ध लड़ने के लिए तैयार है। चीनी एक्सपर्ट ली हैडोंग ने कहा कि भारत और रूस के बीच करीबी तालमेल और सहयोग अमेरिका और यूरोप को साफ दिखाता है कि रूस के पास जबरदस्त ताकत और असर है और वह सिर्फ पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से अपने हितों और मांगों को नहीं छोड़ेगा। साथ ही भारत के भी पीछे हटने की संभावना नहीं है।

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