ईरान बिना जांच किए अफगान शरणार्थियों को निकाल रहा:बच्चों को परिवार से अलग किया

ईरान अफगान शरणार्थियों को उनके कानूनी दर्जे की जांच किए बिना देश से निकाल रहा है। यह आरोप ईरान के सोशल वर्कर्स ने स्थानीय प्रशासन पर लगाया है।

इससे कई मामलों में गलत पहचान, परिवार बिछड़ने और डिपोर्टेशन के दौरान दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं।

तेहरान के गवर्नर मोहम्मद सादिक मोतमेदीयान ने बताया कि पिछले 100 दिनों में 10 लाख से ज्यादा अफगानों को निकाला गया है। इनमें से 4 लाख सिर्फ तेहरान प्रांत से हैं।

ईरान के सोशल वर्कर्स एसोसिएशन के प्रमुख हसन मूसेवी चेलिक ने बताया,

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हाल के दिनों में अफगान शरणार्थियों को निकालते वक्त अधिकारियों ने कानूनी और गैरकानूनी प्रवासियों में फर्क नहीं किया।

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ईरान ने मार्च 2025 में ऐलान किया था कि अवैध रूप से रह रहे अफगान प्रवासी 6 जुलाई तक देश छोड़ दें, नहीं तो उन्हें जबरन निकला जाएगा। ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि अफगानी इजराइल और अमेरिका के लिए जासूसी, आतंकी हमले और ड्रोन बनाने में शामिल हैं।

शरणार्थी बोले- हमें कूड़े की तरह फेंक दिया गया

बताया कि उनके पास न तो पर्याप्त सामान है और न ही भविष्य की कोई उम्मीद। 42 साल तक ईरान में मजदूरी करने वाले मोहम्मद अखुंदजादा ने कहा, "मैंने 42 साल तक ईरान में मेहनत की, मेरे घुटने टूट गए और अब मुझे क्या मिला?"

ईरान से निर्वासित हुए एक अफगान शरणार्थी बशीर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अधिकारियों ने उससे 17 हजार रुपए मांगे। फिर दो दिन डिटेंशन सेंटर में रखा। इस दौरान न खाना दिया गया और न ही पानी। बशीर के मुताबिक अधिकारी उसे गालियां देते थे।

एक दूसरे युवक ने बताया कि उसके पिता को जासूसी के आरोप में पकड़कर कैद कर दिया गया। उन्हें खाना-पानी नहीं दिया गया और बाद में डिटेन करके अफगानिस्तान भेज दिया।

द गार्जियन से बात करते हुए एक अफगान महिला ने बताया कि, ईरानी अधिकारी रात में आए। उन्होंने बच्चों के कपड़े तक नहीं लेने दिए। हमें कूड़े की तरह फेंक दिया। रास्ते में बैंक कार्ड से पैसे निकाल लिए। पानी की बोतल के 80 रुपए और सैंडविच के 170 रूपए वसूले।

ईरान में अफगानों के खिलाफ नस्लीय हमले बढ़े

इजराइल के साथ युद्ध के बाद ईरान में अफगानों के खिलाफ नस्लीय हमले बढ़ गए हैं। कई अफगानों ने बताया कि उन्हें गालियां दी गईं, चाकू से हमले हुए और उनकी मजदूरी तक छीन ली गई।

बैंकों, स्कूलों, अस्पतालों और दुकानों ने भी अफगानों को सेवा देने से मना कर दिया है। एब्राहिम कादेरी ने मीडिया को बताया कि वो तेहरान में एक कार्डबोर्ड फैक्ट्री में काम करते थे, वहां कुछ लोगों ने उन्हें गंदा अफगान कहकर पीटा और चाकू से घायल कर दिया।

उनकी मां गुल दास्ता फजिली ने कहा कि चार अस्पतालों ने उनके बेटे का इलाज करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह अफगान था। 35 साल की फराह, जो तेहरान में कंप्यूटर इंजीनियर हैं, ने बताया कि पड़ोस के युवकों ने उन पर और उनके 4 साल के बेटे पर हमला किया।

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