सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु दर का कलंक भी मध्य प्रदेश पर

भोपाल। देश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर का वर्षों का कलंक मिटा नहीं था कि अब सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर के मामले में भी मध्य प्रदेश देश में पहले नंबर पर आ गया है। जून 2025 में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस -2022) रिपोर्ट के अनुसार यह दर 159 है जो पहले 173 थी। इस तरह 14 अंकों की गिरावट के बाद भी देश में सर्वाधिक है।

इसका मतलब यह कि एक लाख गर्भवती महिलाओं में 159 की मौत प्रसव के 42 दिन के भीतर हो जा रही है, जबकि देश का औसत 88 है। माताओं की मौत का एक बड़ा कारण लेबर रूम और मैटरनिटी ओटी की स्थिति अच्छी नहीं होना भी है।

अस्पतालों के मूल्यांकन में स्थिति खराब मिली

गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के पीएसएम विभाग ने अपने शोध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित लक्ष्य प्रमाणीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत भोपाल के हमीदिया, जेपी अस्पताल, बैरसिया, बैरागढ़ और कोलार अस्पताल का मूल्यांकन किया तो स्थिति खराब मिली।

उदाहरण के तौर पर लेबर रूम के लिए निर्धारित 152 अंक में अस्पतालों को 30 से 95 प्रतिशत तक स्कोर आया। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं। एसआरएस का सर्वे सटीक बैठता है तो प्रतिवर्ष 3100 से अधिक प्रसूताओं की मौत हो रही है।

गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल की पीएसएम विभाग की प्राध्यापक डॉ. मंजू टोप्पो के गाइडेंस और विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र गौर के मार्गदर्शन में डॉ. खुशाली सोलंकी ने लक्ष्य (लेबर रूम क्वालिटी इंप्रूवमेंट इनीशिएटिव) प्रमाणित भोपाल के पांच अस्पतालों को शोध में शामिल किया। अवलोकन, प्रसूता व स्टाफ के साक्षात्कार और रिकार्ड के आधार पर मूल्यांकन किया। पांचों अस्पतालों से 110 प्रसूताओं को शोध में शामिल किया। इनका गुणवत्ता प्रबंधन, रोगी के अधिकार और आउटकम इंडिकेटर्स के आधार पर मूल्यांकन किया गया।

लक्ष्य की चेकलिस्ट के आधार पर कुल 152 अंक निर्धारित किए गए। कुल अंक के अतिरिक्त रोगी के अधिकार, गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम इंडिकेटर के अलग-अलग क्षेत्रों का भी मूल्यांकन किया गया। उदाहरण के तौर पर क्वालिटी मैनेजमेंट में सुविधाओं की उपलब्धता (जी 1)में बैरसिया को दो में शून्य अंक मिले। स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) में 28 में एक और रिस्क मैनेजमेंट (कोड-जी 10) में जीएमसी छोड़ सभी अस्पतालों को दो में एक अंक मिला।

व्यवस्थाएं बेहतर करने के लिए रिसर्च में दिए गए सुझाव

  • अस्पताल में डॉक्टर, ओटी, दवाएं, ब्लड ट्रांसफ्यूजन की पर्याप्त सुविधा हो।
  • रोगियों से बातचीत और अवलोकन में सामने आया कि उन्हें अस्पताल से मिलने वाली चीजें बाहर से खरीदनी पड़ीं। जांचें भी बाहर करानी पड़ीं। स्टाफ को भी अनौपचारिक रूप से पैसा देना पड़ा। दवाएं और जांच की सुविधा अस्पताल में होनी चाहिए।
  • लेबर रूम और ओटी स्टाफ के व्यवहार की नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नियमित तौर पर प्रशिक्षण दिया जाए।
  • राज्य स्तर पर बनी टीम समय-समय पर दौरा कर यह देखे की ‘लक्ष्य’ गाइडलाइन का सही तरीके से पालन हो रहा है या नहीं।
  • रोगी संतुष्टि सर्वे के आधार पर गहराई से सुधार किया जाएगा।

इस कारण देश में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर

  • फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) जहां सीजर डिलिवरी की सुविधा है प्रदेश में लगभग 150 हैं। इनकी संख्या इतनी होनी चाहिए रेफर करने पर प्रसूता एक घंटे में वहां पहुंच जाए।
  • मैटरनल डेथ रिव्यू के आधार पर व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया जा रहा है।
  • गायनकोलाजिस्ट, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते सीजर की सुविधा कम अस्पतालों में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button