साइको टेस्ट फेल लोको-पायलट को सौंपी थी मेमू लोकल:रेल अफसरों ने अनुमति दी, CRS जांच में खुलासा

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए ट्रेन हादसे के बाद रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जिस लोको पायलट के जिम्मे मेमू लोकल ट्रेन दी गई थी, वह रेलवे के साइकोलॉजिकल टेस्ट में असफल हो चुके थे। इसके बावजूद रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों ने उन्हें मेमू लोकल चलाने की अनुमति दे दी। जबकि पैसेंजर ट्रेन चलाने के लिए यह टेस्ट अनिवार्य है।

इधर, CRS (कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी) ने अपनी जांच में 6 नवंबर को दस से अधिक लोगों से हादसे और उनके कामकाज के संबंध में पूछताछ की। इसमें एरिया बोर्ड के एससीआर से लेकर एआरटी, एआरएमवी इंचार्ज और कंट्रोलर डिपार्टमेंट के अधिकारी-कर्मचारियों से वन-टू-वन घंटों बातचीत की गई।

दरअसल, 4 नवंबर को गेवरारोड में मेमू लोकल और मालगाड़ी की टक्कर के बाद जोन के अधिकारी सकते में आ गए। हादसे की मुख्य वजह ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम की खामियों और तकनीकी समस्याओं को माना जा रहा है। रेलवे के पांच सदस्यीय स्थानीय अधिकारियों की जांच में प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई।

पैसेंजर ट्रेन चलाने के लिए जरूरी है साइको टेस्ट

लोको पायलट विद्यासागर पहले मालगाड़ी चलाते थे। करीब एक महीने पहले ही उन्हें प्रमोशन देकर पैसेंजर ट्रेन परिचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रेलवे के नियमों के अनुसार किसी भी चालक को जब मालगाड़ी से पैसेंजर ट्रेन में पदोन्नत किया जाता है, तो उससे पहले उसका साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है, जिसे पास करना अनिवार्य है।

यह परीक्षा चालक की मानसिक संतुलन, त्वरित निर्णय क्षमता और आपात स्थिति में प्रतिक्रिया का आकलन करती है। खास बात यह भी है कि रेलवे अधिकारियों को विद्यासागर के साइकोलॉजिकल टेस्ट पास नहीं करने की जानकारी थी, फिर भी उन्हें सहायक चालक के साथ ट्रेन परिचालन की अनुमति दी गई।

CRS ने पूछा- राहत-बचाव के समय कहां थे ART और ARMV इंचार्ज

इस हादसे की जांच के लिए CRS की जांच शुरू हो गई है। डीआरएम कार्यालय में जांच के बाद कमिश्नर ऑफ रेल सेफ्टी बीके मिश्रा ने पहले दिन सभी जरूरी विभागों के इंचार्ज और सहयोगी कर्मचारियों से पूछताछ की।

पहले दिन एरिया बोर्ड के एससीआर से लेकर एआरटी, एआरएमवी इंचार्ज समेत कंट्रोलर पूछताछ के लिए बुलाए गए। इस दौरान CRS ने सभी इंचार्ज से एक से डेढ़ घंटे तक अलग-अलग पूछताछ की।

जांच में सबसे पहले एरिया बोर्ड के एससीआर पूजा गिरी को बुलाया गया। उनसे घटना के दौरान उनकी उपस्थिति, पैनल और सिस्टम में आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा। ड्राइवरों से उनके कम्युनिकेशन सिस्टम सहित अन्य जानकारी ली।

रात 10 बजे तक चली पूछताछ, आज भी लेंगे बयान

CRS ने एआरटी, एआरएमवी के इंचार्ज अंशु कुमार और रवि किरण से भी अलग-अलग पूछताछ की। अंशु कुमार से एआरटी के रवाना होने और मौके पर पहुंचने का समय पूछा। उनके पूछा कि रवाना होते समय एआरटी में कितने अधिकारी उस पर सवार हुए। वेन में सभी जरूरी संसाधन थे या नहीं?

इसके बाद एआरएमवी के इंचार्ज रवि किरण से घटना की सूचना मिलने के बाद रवाना होने और पहुंचने का समय जाना। मेडिकल वेन में जरूरी संसाधन की जानकारी ली। सीआरएस ने लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट से भी अलग-अलग पूछताछ की।

कंट्रोलर एओएम जीपी दास को सीआरएस ने इंक्वायरी के लिए बुलाया। घटना के समय लाइन में ट्रेनों की संख्या, दूरी की डिटेल जानकारी ली। पूछताछ का सिलसिला रात करीब 10 बजे तक चला। अब लिस्ट में शामिल बाकी अधिकारी-कर्मचारियों से आज पूछताछ की जाएगी।

सुबह से लेकर शाम तक कर्मचारी अपनी बारी का इंतजार करते रहे

CRS इंक्वायरी के लिए गुरुवार (6 नवंबर) को लिस्ट में शामिल सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बुलाया गया था। सभी सुबह से डीआरएम कार्यालय की लॉबी मे बैठे थे। उन्हें दोपहर में सिर्फ लंच के लिए 1 घंटे छोड़ा गया।

इसके बाद फिर से भी लॉबी में आकर अपनी-अपनी कुर्सियों में बैठ गए और रात 10 बजे तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। लेकिन पहले दिन करीब 10 लोगों से ही पूछताछ हो सकी।

घायल असिस्टेंट लोको पायलट और गार्ड का अस्पताल में होगा बयान

हादसे में घायल असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज और मालागाड़ी के गार्ड शैलेष चंद्र यादव का बयान सबसे महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि ये दोनों ही हादसे के प्रत्यक्षदर्शी हैं। दोनों अभी भी अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं।

CRS द्वारा बुलाए गए कर्मचारियों की लिस्ट में सबसे पहला नाम रश्मि राज का ही है। पांचवे नंबर पर शैलेष चंद्र हैं, लेकिन पहले दिन दोनों नहीं पहुंच सके। ऐसे में अब अस्पताल में उनका बयान दर्ज किया जा सकता है।

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