MLA निर्मला बोलीं-विधायक पद का मोह होता, तो मंत्री होतीं

सागर जिले की बीना सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनीं निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता का मामला हाईकोर्ट में हैं। 18 नवंबर को नेता प्रतिपक्ष द्वारा लगाई गई निर्मला सप्रे की सदस्यता खत्म करने के मामले पर सुनवाई होनी है। इससे पहले निर्मला शुक्रवार को स्टेट हैंगर पर सीएम डॉ. मोहन यादव से मिलने पहुंचीं।

निर्मला के दलबदल मामले पर उनसे सवाल जवाब किए…

सवाल- आपकी सदस्यता के मामले पर नेता प्रतिपक्ष की याचिका पर कोर्ट ने जवाब मांगा है? आप किस पार्टी में हैं?

जवाब- जहां पर हाईकोर्ट का मसला हैं, वहां हमें अपनी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, जो कोर्ट फैसला देगा वो सर्वोपरि है।

सवाल- आप किस पार्टी में हैं ?

जवाब- ये हमारा कोर्ट डिसाइड करेगा, कोर्ट का फैसला अभी अटका हुआ है। हम थोड़े डिसीजन देंगे, हमारा हाईकोर्ट में मसला चल रहा हैं, हम हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार करें। हम जनप्रतिनिधि हैं, हम कोर्ट से ऊपर हो नहीं सकते। कोर्ट का निर्णय हम स्वीकार करेंगे, कोर्ट मेरे पक्ष में जो निर्णय देगा। हम कोई बात सार्वजनिक तौर पर नहीं रख सकते हैं। 18 तारीख को मेरी पेशी है।

कोई पार्टी हमें सिम्बल देती हैं, लेकिन विधायक जनता बनाती है। मैं जनता की विधायक हूं। आज मैं मुख्यमंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे 167 काम स्वीकृत हो चुके हैं। मैं मुख्यमंत्री जी को स्टेट हैंगर पर आमंत्रित करने आई हूं। क्योंकि, हमारे बीना विधानसभा क्षेत्र को इतने समय बाद इतने काम दिए हैं, इसके लिए मैं सीएम साहब को धन्यवाद देना चाहती हूं।

सवाल- विधानसभा का नियम है कि जब आप दल बदल करते हैं, तो नैतिकता के आधार पर स्वत: इस्तीफा दे दें या विधानसभा आपको हटा दे और दुबारा उपचुनाव हो। आपको नहीं लगता कि आपने पार्टी बदल कर गलत किया है या फिर आपको विधायक के पद का इतना मोह है कि आप कुर्सी नहीं छोड़ना चाहतीं?

जवाब- नहीं, ये बिल्कुल नहीं हैं। अगर मोह होता तो आज मैं मंत्री होती। बीजेपी को किसी विधायक की आवश्यकता नहीं है और ना ही मेरे विधायक ना होने से उनकी सरकार गिर जाती। बीना की जनता के हित में, मैं उनके कामों पर खरी उतर रही हूं। चुनाव के दौरान मैंने उनसे कई वादे किए थे। आज जनता मुझसे बहुत खुश है, आप बीना क्षेत्र में जाइए और देखिए।

जनता के आशीर्वाद ने मुझे विधायक बनाया और मैं उनके आशीर्वाद पर खरी उतर रही हूं। रही बात मेरी सदस्यता की तो मैं कोर्ट में बताऊंगी, क्योंकि मैं कोर्ट को ही सर्वोपरि मानती हूं। कोर्ट का जो भी फैसला रहेगा मैं उसकी इज्जत करूंगी।

सवाल- क्या आपको ऐसा लगता है कि आपको शामिल करने के बाद अब बीजेपी वाले बोल रहे हैं कि आप उनके पार्टी में नहीं हैं?

जवाब- ऐसा नही है। ये सबका अपना व्यक्तिगत मत हो सकता हैं। मेरी जनता ने मुझे चुना है। ये सारा मैटर कोर्ट में रखने वाली हूं।

सवाल- क्या बीना जिला बनेगा?

जवाब- बीना जिला बनेगा। क्यों नही बनेगा..? क्योंकि, बीना को जिला बनाने की 40-45 साल पुरानी मांग हैं। मैं भी भूख हड़ताल पर बैठी थी। सारे जनप्रतिनिधि से लेकर, सारे वोटर्स की इच्छा है कि बीना को जिला बनाया जाए।

इसके चलते जब 9 सितंबर को मुख्यमंत्री जी जब आए थे, मैंने उनसे मंच के जरिए यह बात रखी तो इसी को लेकर जिला पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ है। उसकी पॉजिटिव रिपोर्ट भी आएगी। बीनावासियों के लिए गर्व की बात होगी। वो मुझ पर गर्व करेंगे कि हमारी एक ऐसी विधायक थी, जिसने बीना को जिला बनाया। बहुत जल्दी ये खुशखबरी आएगी।

हेमंत खंडेलवाल बोले- भाजपा के 164 विधायक

6 नवंबर को जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से पूछा गया कि निर्मला सप्रे बीजेपी में हैं या नहीं, तो उन्होंने कहा- भारतीय जनता पार्टी के 164 विधायक हैं। उनके नाम पूछेंगे तो मैं बता दूंगा। अब कौन किस दल में है, ये उसी से पूछो, वे ही बताएंगी।

निर्मला केस में कब, क्या हुआ?

  • निर्मला सप्रे के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन 7 जुलाई 2024 को विधानसभा अध्यक्ष को सदस्यता खत्म करने का आवेदन दिया।
  • विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष को करीब ढाई महीने बाद जवाब आया कि आपकी याचिका के दस्तावेज गुम हो गए हैं।
  • नेता प्रतिपक्ष ने दोबारा याचिका से संबंधित दस्तावेज स्पीकर को भेजे।
  • जुलाई से 90 दिनों में जब स्पीकर की ओर से सप्रे की सदस्यता को लेकर निर्णय नहीं हुआ तो 28 नवंबर 2024 को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
  • इंदौर हाईकोर्ट ने पहली सुनवाई के लिए 9 दिसंबर 2024 की तारीख दी।
  • 9 दिसंबर 2024 को इंदौर हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष और बीना विधायक को नोटिस जारी किए। सुनवाई की तारीख 19 दिसंबर तय की गई।
  • 19 दिसंबर को सरकार ने हाईकोर्ट से इंदौर की जगह जबलपुर में सुनवाई की मांग की गई।
  • 6 नवंबर को एमपी हाईकोर्ट जबलपुर ने विधानसभा अध्यक्ष, एमपी सरकार और निर्मला सप्रे से जवाब मांगा।
  • 18 नवंबर को इस केस की हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

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