मस्जिद, स्कूल, कब्रिस्तान… किर्गिस्तान में झील के तट पर अटलांटिस जैसे शहर की खोज, इस्लामी रिवाजों के मिले लिंक

बिश्केक: प्लेटो की अटलांटिस की कहानी एक बार फिर चर्चा में आ गई है। इस चर्चा की वजह एक नई खोज है। रूसी विज्ञान अकादमी के पुरातत्वविदों ने किर्गिस्तान की इस्सिक कुल झील के नीचे 15वीं शताब्दी के विनाशकारी भूकंप में नष्ट हुए एक डूबे हुए शहर के निशान खोज निकाले हैं। यह दुनिया की आठवीं सबसे गहरी झील है, जिससे यह कमाल की खोज हुई है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, झील के उत्तर-पश्चिमी बिंदु के पास बाढ़ग्रस्त तोरु-अयगीर परिसर में स्थित इस शहर को खोजकर्ताओं ने खुदाई के दौरान ढूंढ़ निकाला है। एक्सपर्ट ने झील के तटरेखा के आसपास 3 से 13 फीट की उथली गहराई पर चार पानी के नीचे के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया है। यहां उनको यह प्राचीन शहर मिला है।
खोज में क्या-क्या मिला
एक्सपर्ट को खुदाई स्थल से रोजमर्रा की चीजों का बड़ ढ़ेर मिला है। यह किसी समय के संपन्न महानगर या बड़े व्यावसायिक समूह को दिखाता है। खोज में पकी हुई ईंटों से बनी कई संरचना मिली है। इसमें एक चक्की का पाट भी है, जिसका इस्तेमाल अनाज को कुचलने और पीसने के लिए किया जाता था। इसके अलावा धंसी हुई पत्थर की संरचनाएं और लकड़ी के बीम हैं।
इस्लामी रीति रिवाज दिखे
खुदाई मे दफनाने के स्थान भी मिले हैं, जिनसे पारंपरिक इस्लामी रीति-रिवाजों के प्रमाण मिलते हैं। इनमें कंकाल उत्तर दिशा की ओर मुख किए हुए हैं। उनके चेहरे किबला की ओर हैं, जिस दिशा में मुसलमान नमाज के दौरान मुंह करके बैठते हैं। रूसी भौगोलिक सोसायटी ने कहा कि यह सब इस बात की पुष्टि करता है कि यहां कभी एक प्राचीन शहर हुआ करता था।
कोलचेंको और उनके सहयोगियों का मानना है कि प्राकृतिक आपदा से पहले निवासियों ने इस क्षेत्र को छोड़ दिया था। कुछ समय बाद खानाबदोश लोगों ने यहां रहना शुरू किया। आज इस झील के किनारे छोटे-छोटे गांव बसे हुए हैं। कोलचेंको और उनकी टीम ने कलाकृतियों को विश्लेषण के लिए भेजा है।





