राष्ट्रीय खेल मेरे दिल के करीब : रानी रामपाल

पणजी
भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी रानी रामपाल 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए हरियाणा टीम का हिस्सा हैं। खुद रानी ने बताया कि राष्ट्रीय खेल हमेशा से उनके दिल के करीब रहा है क्योंकि इसी में डेब्यू करते हुए वह पहली बार भारत की सीनियर हॉकी टीम कैंप के लिए चुनी गई थी। चौथी बार राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले रही रानी हरियाणा टीम की कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में हरियाणा ने शानदार शुरुआत करते हुए अपने पहले ही मैच में तमिलनाडु को 8-0 से हरा दिया। इसमें रानी का भी एक गोल शामिल है।

राष्ट्रीय खेलों को लेकर अपने अनुभव के बारे में रानी ने कहा, '' राष्ट्रीय खेल, वास्तव में मेरे लिए बहुत स्पेशल टूर्नामेंट है क्योंकि 2007 में मैंने पहली बार जब इनमें हिस्सा लिया था, तो वहीं से मेरा सेलेक्शन नेशनल कैंप के लिए हुआ था और फिर मैं वहीं से भारत की सीनियर टीम में आई थी। मेरे लिए यह हमेशा से एक यादगार टूर्नामेंट रहा है और यहां खेलकर बहुत खुशी होती है क्योंकि भारतीय टीम का मेरा सफर यहां से शुरू हुआ था।''

28 साल की रानी भारत के लिए अब तक 250 से ज्यादा मैचों में 120 से ज्यादा गोल दाग चुकी हैं। इसके अलावा वह हॉकी इंडिया द्वारा महिला अंडर-17 टीम तैयार करने के प्लान का हिस्सा हैं। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने बीते दिनों रानी को महिला अंडर-17 टीम का कोच नियुक्त करने की घोषणा की थी।

2007, 2015 और 2021 के राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाली रानी को इस बात की खुशी है कि वह एक बार फिर अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। रानी ने कहा, '' ये मेरा चौथा नेशनल गेम्स है और मुझे यहां खेलकर अच्छा लगता है। आप जब कोई खिलाड़ी भारत के लिए खेलता है तो वह उसके लिए सबसे खास पल होता है, लेकिन जहां से खेल शुरू किया था, उस राज्य का किसी भी प्लेटफॉर्म पर प्रतिनिधित्व करना गर्व की बात होती है।''

रियो और टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तान रहीं रानी ने 2008 में इंटरनेशनल डेब्यू किया था और वह भी ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए। उस समय उनकी उम्र 14 साल थी और वह भारत के लिए सीनियर टीम में खेलने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बनी थीं।

हरियाणा के यमुनानगर के शाहबाद मरकंडा, जिसे हरियाणा में हॉकी का सबसे बड़ा नर्सरी माना जाता है, में पैदा हुईं रानी सही मायने में महिला हॉकी में लीजेंड हैं। रानी जैसी खिलाड़ियों के नेशनल गेम्स जैसे आयोजन में खेलने से न सिर्फ ऐसे आयोजनों की शोभा बढ़ती है बल्कि युवा खिलाड़ियों को काफी कुछ सीखने को मिलता है।

रानी से जब यह पूछा गया कि आपकी मौजूदगी से हरियाणा की टीम को कितना मतलब मोरल बूस्ट मिलता है? इस पर रानी ने कहा, ''निश्चित तौर पर जब आपकी टीम में कोई राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी खेलता है तो एक तरह की ऊर्जा मिलती है। जब हम खेलते थे और हमारी टीम में अगर कोई सीनियर प्लेयर खेल रहा होता था तो हमें भी एक बहुत बढ़िया मोटिवेशन मिलता था। हमें एक तरह का आत्मविश्वास भी मिलता था। मेरी टीम में कई युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और अगर मेरी मौजूदगी से उन्हें कुछ हासिल होता है तो मेरी टीम के लिए मेरा इससे बढ़िया योगदान और कुछ नहीं होगा।''

गुजरात में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों में हरियाणा ने पंजाब को हराकर खिताब जीता था। रानी उस टीम का हिस्सा थी। अब वह एक बार फिर अपनी टीम को लेकर नेशनल गेम्स में आई हैं। टीम की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर रानी ने कहा, '' हम अभी एक समय पर एक ही मैच पर ध्यान दे रहे हैं। इसके बाद हम सेमीफाइनल और फाइनल मैच पर ध्यान देंगे। इन मुकाबलों में जो भी टीमें हमारे सामने होंगी, उसी के अनुसार हम अपनी रणनीति तय करेंगे। हम अपने खेल का स्तर अच्छा बनाए रखना चाहेंगे क्योंकि हर टीम खिताब जीतने के मकसद से यहां आई है। हम किसी को हल्के में नहीं लेंगे।''

 

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