NGT का आदेश: नगर निगम ग्रेटर कचरा साफ करने में फेल, करोड़ों रुपए जुर्माने के तौर पर चुकाने होंगे

जयपुर
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) न्यायालय ने कचरा निस्तारण नहीं करने पर जयपुर नगर निगम ग्रेटर समेत राज्य के सभी निकायों को तय जुर्माना राशि अदा करने का आदेश दिया है। इस राशि की गणना याचिका संख्या 606/2018 के अनुसार राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा की जाएगी। जो करोड़ों रुपए में होने की संभावना है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार सभी निकायों को डंपिंग यार्ड पर जमा कचरे के पहाड़ों को तय समयावधि में निस्तारित (हटाना) करना था जो अब तक नहीं हो सका है। इसलिए NGT के सेंट्रल जोन भोपाल कोर्ट ने अजमेर निवासी अशोक मलिक बनाम कमिश्नर, जयपुर नगर निगम ग्रेटर के मामले में यह आदेश दिए हैं।

परिवादी ने याचिका में बताया कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर कचरा निस्तारण में पूरी तरह से फेल रहा है। कचरे को उठाने से लेकर डंप करने और निस्तारण का कार्य समय पर नहीं किया गया है। नियमों के मुताबिक कचरा निस्तारण नहीं करने पर दस लाख से अधिक आबादी के लिए 10 लाख रुपए, पांच से दस लाख के बीच आबादी के लिए प्रति स्थानीय निकाय को 5 लाख रुपए और अन्य निकायों को 01 लाख रुपए प्रति माह जुर्माने का प्रावधान है।यदि इससे निकायों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। ऐसा नहीं करने पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

फैसले में कचरा निस्तारण नहीं करने वाले निकायों के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। आपको बता दें कि जयपुर समेत राजस्थान के तमाम छोटे-बड़े शहरों में डंपिंग यार्ड पर जमा कचरे (लिजेसी वेस्ट) का निस्तारण करना था, लेकिन अफसरों की नींद देरी से खुली। इन अधिकारियों ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दे दी।

सूत्रों के मुताबिक भारत मिशन अरबन 2.0 की गाइड लाइन के मुताबिक पुराने कचरे का निस्तारण मार्च-2024 तक करना है, लेकिन राजधानी जयपुर में यह कार्य अब तक 20 फीसदी भी नहीं हुआ है। बहरहाल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश दिए हैं कि सभी निकायों को तय अवधि में कचरे का निस्तारण करना है। नहीं करने पर उन्हें तय मुआवजा अदा करना पड़ेगा। प्रदूषण नियंत्रण मंडल इसके लिए स्वतंत्र कार्रवाई करेगा।

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