एमपी हाईकोर्ट के स्टे पर एक विक्रम अवॉर्ड होल्ड:सीएम ने 11 विक्रम और 11 एकलव्य पुरस्कार दिए

मध्यप्रदेश में शिखर खेल अलंकरण और 38वें नेशनल गेम्स 2025 के पदक विजेताओं खिलाड़ियों का सम्मान किया गया। मंगलवार को भोपाल के रविंद्र भवन में सीएम डॉ. मोहन यादव ने 11 विक्रम और 11 एकलव्य पुरस्कार दिए।

इधर, इंदौर हाईकोर्ट के स्टे के बाद एक विक्रम अवॉर्ड को होल्ड कर दिया गया। छिंदवाड़ा की भावना डेहरिया को सरकार ने विक्रम अवॉर्ड 2023 के लिए चुना था। भावना के चयन को लेकर पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने चुनौती दी थी। पाटीदार ने 2017 में एवरेस्ट फतह किया था।

कोर्ट ने मधुसूदन की याचिका पर सरकार से 7 हफ्ते में जवाब मांगा था। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद कोर्ट ने स्टे के आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि जब तक उनकी रिप्रेजेंटेशन तय नहीं होगी, तब तक विक्रम अवॉर्ड (स्पेशल एडवेंचर अवॉर्ड) किसी को नहीं दिया जाए।

इस मामले में खेल विभाग ने कहा कि नियम अनुसार 5 साल के अंतराल में आवेदन करने वाले ही पात्र होते हैं। नियम अनुसार भावना डेहरिया ही विक्रम अवॉर्ड के लिए पात्र है।

खेल विभाग ने कहा- भावना ही अवॉर्ड के लिए पात्र खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक राकेश गुप्ता ने बताया कि छिंदवाड़ा की भावना डेहरिया को सरकार ने विक्रम अवॉर्ड के लिए चुना था। भावना के चयन को लेकर पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने चुनौती दी थी। मधुसूदन ने 2017 में एवरेस्ट फतह किया था। विभागीय नियम के अनुसार 5 वर्ष में आवेदन करने वाले ही अवॉर्ड के लिए पात्र है। नियम अनुसार भावना डेहरिया ने 5 वर्ष के अंतराल में आवेदन किया गया है। नियम अनुसार भावना डेहरिया ही पात्रता रखती है। मधुसूदन ने 2023 अवॉर्ड के लिए आवेदन किया था। समिति ने इसलिए विचार नहीं किया।

​​​​​​तीन कोचों को दिया विश्वामित्र अवॉर्ड इस समारोह में 38वें नेशनल गेम्स 2025 में मध्यप्रदेश के लिए पदक जीतने वाले 82 खिलाड़ियों को भी मंच से सम्मानित किया गया। इनमें 34 स्वर्ण, 25 रजत और 23 कांस्य पदक विजेता शामिल हैं। 11 विक्रम, 11 एकलव्य, 3 विश्वामित्र और 1 लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिए गए। इस वर्ष विश्वामित्र पुरस्कार से तीन अनुभवी कोचों को सम्मानित किया गया।

सीएम बोले- खिलाड़ी भावना से जिंदगी बदल जाती है अलंकरण समारोह में सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विश्वामित्र जी ने राजा दशरथ से राक्षसों को मारने के लिए युवा भगवान राम को मांगा था। अगर हम कल्पना करें कि वे भगवान को राक्षसों को मारने का टास्क नहीं देते, तो उनका आगे का समय क्या होता है, मालूम नहीं।

लेकिन, जंगल में जाने के बाद उन्होंने खिलाड़ी भावना के आधार पर अपने जीवन को पलट दिया। आगे भगवान राम ने पिनाक धनुष को तोड़ने का पराक्रम दिखाया। वह खिलाड़ी भावना ही थी। सीएम ने कहा कि खिलाड़ी का जीवन इसी प्रकार का होता है। उनका जीवन लोकतंत्र को गौरवांवित करता है। खेल हमें दुश्मनों से मुक्ति देता है। खिलाड़ी वो जो जीवन जीने का उच्चतम मापदंड हासिल करता है। इससे पहले मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि खेल के मायने में मध्यप्रदेश देश में नंबर 1 राज्य बनेगा।

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