मलेशिया में 6,000 से ज्यादा बच्चों में मिला इन्फ्लूएंजा संक्रमण, स्कूल बंद किए गए, कोरोना की गाइडलाइन लागू की जा रही

कुआलालांपुर: मलेशिया में तेजी से फैलते इन्फ्लूएंजा संक्रमण ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। खासतौर से बच्चे संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। मलेशिया के शिक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि अब तक देशभर में 6,000 से ज्यादा छात्रों में इन्फ्लूएंजा के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। संक्रमण का प्रसार रोकने और बच्चों की सुरक्षा का ख्याल करते हुए स्कूल बंद कर दिए गए हैं। खासतौर से ज्यादा प्रभावित इलाकों में सख्ती से स्कूलों को बंद किया गया है। सरकार ने लोगों से साफ-सफाई रखने और एहतियात बरतने के लिए कहा है।

मलेशिया के शिक्षा मंत्रालय के महानिदेशक मोहम्मद आजम अहमद ने सोमवार को अपने बयान में कहा, ‘इन्फ्लूएंजा संक्रमण के फैलने का तरीका कोरोना वायरस से मिलता-जुलता है। हमें संक्रामक बीमारियों से निपटने का अनुभव है और इसका इस्तेमाल हम कर रहे हैं। हमने स्कूलों को कोविड के समय के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। छात्रों को फेस मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही लोगों को जमा होने से मना किया गया है। हालांकि लॉकडाउन जैसी स्थिति से सरकार ने इनकार किया है।

देशभर में फैला संक्रमण

मोहम्मद आजम अहमद ने इन्फ्लूएंजा से प्रभावित स्कूलों की सटीक संख्या नहीं बताई है लेकिन पूरे देश में संक्रमण फैल जाने की पुष्टि की है। पिछले सप्ताह तक संक्रमण के ज्यादातर मामले स्कूल और किंडरगार्टन से जुड़े थे। इनमें सेलांगोर सबसे ज्यादा प्रभावित था। इसके बाद कुआलालंपुर, पुत्रजया, पेनांग, जोहोर और केदाह में संक्रमण के मामले मिले हैं।

डॉक्टर शरीफा एजात वान पुतेह ने माता-पिता को बच्चों के लिए फ्लू के टीके को प्राथमिकता देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि वार्षिक टीकाकरण जरूरी है क्योंकि इन्फ्लूएंजा वायरस समय के साथ बदलते रहते हैं और हर साल टीके को अपडेट किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि फ्लू का टीका छह महीने और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए है।

स्थिति फिलहाल नियंत्रण में

स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर जुल्केफ्ली अहमद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय संक्रमण को रोकने के लिए आगे के उपायों पर शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि मामलों में वृद्धि पर कड़ी नजर रखी जा रही है और स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि मामले तेजी से बढ़ने के चलते कुछ कदम उठाए गए हैं लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।

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