तालिबान और भारत की दोस्ती के पीछे केवल पाकिस्तान नहीं है वजह, जान लें असली कारण, चीन की भी बढ़ी है चिंता

काबुल: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी इन दिनों भारत के दौरे पर हैं। मुत्तकी का दिल्ली आना और यहां उनको मिले स्वागत ने दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत के मुत्तकी को बुलाने के कदम को क्षेत्र में पाकिस्तान को काबू करने की कोशिश की तरह देखा जा रहा हैं। वहीं दूसरी ओर तालिबान के भारत की तरफ झुकाव के पीछे उसका पाकिस्तान से टकराव माना जा रहा है। पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच बीते कुछ समय से भारी तनाव है। हालांकि इस सबमें अमेरिका का भी एक अहम किरदार है। अमेरिका के रुख ने तालिबान को भारत के करीब लाने में मदद की है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आमिर मुत्तकी की दिल्ली यात्रा के दौरान अफगानिस्तान में भारत के तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में बदलने का ऐलान किया है। इसने कई पर्यवेक्षकों को हैरान किया है, जो मुत्तकी की दिल्ली यात्रा और द्विपक्षीय संबंधों की औपचारिक बहाली से आश्चर्यचकित हैं। इस हैरानी की वजह दो अलग धाराएं यानी तालिबान के कट्टरपंथी इस्लामी शासन और भारत में लोकतंत्रिक व्यवस्था होना है।
पाकिस्तान का किरदार
एक्सपर्ट का कहना है कि ये काफी हद तक सही है कि तालिबान को भारत के करीब लाने में पाकिस्तान की भूमिका है। भारत-पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है। ऐसे में पाकिस्तान से बिगड़ते संबंध ने उसे भारत की तरफ धकेलने का काम किया। इमरान खान की सरकार गिरने के बाद तालिबान को अपने खिलाफ अमेरिका-पाकिस्तान की मिलीभगत का डर है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच डूरंड रेखा (बॉर्डर) पर भी विवाद है।
चीन की भी लगी नजर
डोनाल्ड ट्रंप स्पष्ट रूप से बगराम एयरबेस पर अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं। यह केवल पाकिस्तान की मदद से ही संभव हो सकता है। यह अमेरिका की स्पष्ट रूप से चीन को कमजोर करने की कोशिश है। ऐसे भारत के साथ-साथ चीन भी अफगानिस्तान के लिए समन्वित समर्थन शुरू कर सकता है। इसका उद्देश्य पुनर्जीवित अमेरिका-पाकिस्तान क्षेत्रीय द्वि-एकाधिकार को संतुलित करना और क्षेत्रीय भू-राजनीति को नया रूप देना है।