आपसी सपोर्ट से बढ़ रहे पौधे:9-9 फीट पर फलदार पौधे लगाए, बीच में फसल

खंडवा के पुनासा में किसान दिनेश बाहेती कॉलोनियों के बीच स्थित जमीन में जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने यहां पौधे इस तरह लगाए हैं कि अपने-आप बढ़ सकें। इसके लिए 9-9 फीट की दूरी पर अलग-अलग फलों के पौधे लगाए। इनसे गिरने वाली पत्तियों से पास में लगे अन्य पौधों को खाद मिलती है, जो उनके लिए पोषण का काम करती है। यानी फलदार पौधे और बीच में लगे पौधे एक-दूसरे के सपोर्ट से बढ़ रहे हैं।
खेत में आम, नींबू, संतरा, सीताफल, कटहल, सुरजाना फली के पौधे लगाए गए हैं। किसान बाहेती ने बताया- खेत में ही गोबर से कंपोस्ड खाद तैयार करता हूं। उसे छानकर खेत में देता हूं। साथ ही गोमूत्र, गुड़, बेसन आदि का घोल तैयार कर 10-12 दिन तक रखता हूं। इसके बाद गड्ढे में एकत्र किए गोबर में लकड़ी से होल करके उसमें घोल डालता हूं।
इस तरह अच्छी जैविक खाद तैयार हो जाती है। खेत में इसी तरह की खाद का उपयोग कर रहा हूं। खेत में पहली कतार में 9-9 फीट की दूरी पर नींबू, दूसरी कतार में 9-9 फीट की दूरी पर जामफल, इसी तरह अन्य कतारों में संतरा, सीताफल, आम आदि के पौधे लगाए हैं।
इसी तरह सुरजना और कटहल के पौधे भी 9-9 फीट की दूरी पर लगाए हैं। खेत या पौधों पर कीटनाशी नहीं छिड़कता बल्कि फसलों को बीमारी से बचाने के लिए कड़वा स्प्रे छिड़कता हूं। इसके लिए धतूरा, सुरजना की फली, नीम की पत्ती उबालकर टंकी में रखता और इस कड़वे स्प्रे को फसल पर छिड़कता हूं।
पूरी तरह प्राकृतिक रूप से की जा रही खेती में फलों के पौधों के बीच बीच-बीच में गेहूं, हल्दी और अदरक की फसल लेता हूं। संतरे के पौधों से निकलने वाली खुशबू और उनके फूल मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं, जिससे परागण बेहतर होता है।
चीकू के पेड़ मिट्टी के क्षरण को रोकते और जल संरक्षण में सहायक होते हैं। सीताफल के पेड़ भूमि की उर्वरता बढ़ाते, नींबू के पेड़ कीटों से बचाते हैं। बाहेती ने बताया- पारंपरिक तरीकों और नवाचारों के जरिए खेती तो हो ही रही है, आसपास की कॉलोनियों के लिए यह खेत ऑक्सीजन पॉकेट का काम कर रहा है। हरियाली और शुद्ध हवा से लोगों की सेहत को फायदा भी होगा।