राज्य में आबकारी नीति को बदलने की तैयारी, ठेका पद्धति को फिर से लागू करने के संकेत

रायपुर, राज्य सरकार मौजूदा शराब नीति में बदलाव की कवायद कर रही है। प्रदेश में फिर से एक बार ठेका पद्धति लागू की जा सकती है। बताया जा रहा है कि आबकारी विभाग ने प्रारंभिक मसौदा तैयार कर लिया है। मसौदा पर अभी राज्य सरकार के स्तर पर चर्चा होनी है। नई शराब नीति पर सरकार के सहमत होने के बाद इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। दरअसल, आबकारी विभाग पिछले साल निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।

वर्ष 2024-25 में शराब से राजस्व का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए जबकि कमाई लक्ष्य से 3 हजार करोड़ कम रही। इसके बावजूद इस साल रेवेन्यू टार्गेट बढ़ा दिया गया है। इस साल आबकारी विभाग ने शराब से 12,500 करोड़ रुपए कमाई का लक्ष्य तय किया है।

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही सरकार शराब नीति में बदलाव करने पर मंथन कर रही है। विभागीय अफसरों का कहना है कि विभाग 2026-27 के लिए नई शराब नीति को अधिक पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने की कवायद कर रहा है। इसके तहत पिछले महीने आबकारी सचिव सह आयुक्त आर संगीता के नेतृत्व में लाइसेंस धारकों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग हो चुकी है।

2017 में लागू हुआ था मौजूदा सरकारी सिस्टम डॉ. रमन सिंह की सरकार ने 2017 में शराब का सरकारी सिस्टम लागू किया था। भूपेश सरकार ने भी इसे जारी रखते हुए शराब से आबकारी शुल्क हटाया गया। ताकि अवैध बिक्री पर रोक लगे। इसके अलावा एप के जरिए मनपसंद शराब की होम डिलीवरी का सिस्टम भी शुरू किया गया।

मौजूदा सरकार ने भी शराब की बिक्री के सरकारी सिस्टम को चालू रखा। इसके बावजूद राज्य में शराब की बिक्री के राज्य सरकार के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका इसलिए अब इसमें बदलाव करने की तैयारी है।

ठेका पद्धति लागू होने से बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा शराब बिक्री के सरकारी सिस्टम की जगह ठेका पद्धति को अपनाने की कवायद के पीछे मूल कारण राजस्व है। ठेका पद्धति से आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। इससे शराब की अवैध बिक्री में कमी आएगी, जबकि लाइसेंस शुल्क से सरकार की कमाई होती रहेगी। दरअसल, तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में अवैध शराब की बिक्री नहीं रुक रही है। सबसे ज्यादा अवैध शराब मध्य प्रदेश से आती है। कार्पोरेशन के जरिए शराब बेचने से शासन पर भी सवाल उठते हैं।

कारोबार से जुड़े सभी लोगों से लिए गए हैं सुझाव विभाग ने कारोबार से सीधे तौर पर जुड़े सभी लोगों से मीटिंग कर सुझाव लिए हैं। इसके तहत बॉटलिंग और उत्पादन यूनिट्स कारोबारियों से बॉटलिंग फीस, लाइसेंस फीस, काउंटरवेलिंग ड्यूटी, आयात-निर्यात शुल्क, ऑनलाइन पेमेंट व्यवस्था, नई बोतलों के इस्तेमाल की अनुमति और गोदामों की छुट्टी के दिन संचालन जैसे मुद्दों पर सुझाव लिए गए।

वहीं, विदेशी ब्रांड कंपनियों के प्रतिनिधियों से हैंडलिंग चार्ज, आयात-निर्यात शुल्क, लाइसेंस फीस और विदेशी शराब के गोदामों से जुड़े विषय पर राय ली गई। बार और क्लब संचालकों तथा उनके संगठनों के प्रतिनिधियों से लाइसेंस फीस, मिनीमम सेल्स टार्गेट, बार संचालन के समय और अवैध गतिविधियों पर रोक जैसे विषयों पर सुझाव लिए गए।

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