मध्य प्रदेश में उलझ सकता है प्रमोशन का मामला, 12 अगस्त को होगी सुनवाई

भोपाल। मध्य प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों को नौ वर्ष बाद पदोन्नति मिलने की आस नए नियमों से जागी थी, लेकिन उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। सामान्य वर्ग के कर्मचारियों द्वारा हाई कोर्ट में नए नियमों को चुनौती देने से मामला उलझ गया है। दरअसल, पदोन्नति का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के उसे आदेश को चुनौती दी है जिसमें 2002 के पदोन्नति नियमों को निरस्त किया गया था। हाई कोर्ट ने सरकार से यही पूछा है कि जब आपने नए नियम बना लिए तो फिर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका वापस क्यों नहीं ली। 12 अगस्त को हाई कोर्ट जबलपुर में सुनवाई प्रस्तावित है। इसमें सरकार द्वारा दिए जाने वाले जवाब से निर्धारित होगा कि पदोन्नति का रास्ता खुलेगा या नहीं।

नियम 2002 में निरस्त किया था

हाई कोर्ट ने 2016 में पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त कर दिया था। पदोन्नत कर्मचारियों को पदावनत करने के भी निर्देश थे। चूंकि, सरकार ऐसा नहीं करना चाहती थी इसलिए हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। यहां से सरकार को इतनी राहत मिली कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता तब तक यथास्थिति बनाकर रखी जाए। तभी से पदोन्नतियां बंद हैं।

सरकार ने जून 2025 में नए नियम बनाकर अधिसूचित कर लागू कर दिए लेकिन न तो सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका वापस ली और न ही पुराने नियम से पदोन्नत हुए कर्मचारियों को पदावनत किया। हाई कोर्ट ने नए और पुराने नियम के अंतर को स्पष्ट करने के साथ इस बात पर सरकार से जवाब मांग लिया कि याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस क्यों नहीं ली गई। जब नियम तैयार हो रहे थे, तब भी यह विषय उठा था लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश

सूत्रों का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर अभी चुप्पी साधे है और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श कर रही है। उधर, सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि पुराने नियम निरस्त करने के आदेश में ही आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदावनत करने के भी निर्देश हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।

यदि याचिका वापस ली जाती है तो उसे हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। यही कारण है कि मामला उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है। हालांकि, सरकार यह बात प्रमुखता से कोर्ट के सामने रखेगी कि हम सशर्त पदोन्नति दे रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के निर्णय के अधीन रहेगी। यह बात नियम में भी स्पष्ट की गई है।

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