भारत के लड़ाकू बेड़े में शामिल होगी रूसी किलर मिसाइल R-37, चीन- पाक‍िस्‍तान की PL-15 को मिलेगी टक्कर, जानें ताकत

मॉस्को: भारतीय वायु सेना अपने हवाई बेड़े को शक्तिशाली बनाने के लिए RVV-BD मिसाइल के अधिग्रहण पर विचार कर रही है। रूस में बनी इस हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल को R-37 के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय वायु सेना इस रूसी हथियार को चीन की 200 किमी की दूरी तक हमला करने की क्षमता वाली PL-15 मिसाइल के जवाब के रूप देख रही है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान कर रहा है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के खिलाफ चीनी PL-15 का इस्तेमाल किया था। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी इस सप्ताह अपने रूसी समकक्षों के साथ बैठक करने वाले हैं, जिसमें R-37 के अधिग्रहण पर चर्चा हो सकती है।

यह कदम भारतीय वायु सेना की लंबी दूरी की हवाई क्षमताओं को बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। रूसी R-37 या RVV-BD को दुनिया की सबसे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में से एक माना जाता है। इसे फाइटर जेट, अवाक्स विमानों और रणनीतिक बमवर्षकों जैसे उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

R-37 मिसाइल की खासियत

आर-37 मिसाइल की मारक क्षमता 200 किलोमीटर है, जिसे 300 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। यह मिसाइल भारतीय वायु सेना को दृश्य सीमा से परे (Beyond Visual range) हमलों में महत्वपूर्व बढ़त प्रदान करेगी। डबल-थ्रस्ट सॉलिड रॉकेट मोटर से लैस R-37 मैक 6 से अधिक की गति से लक्ष्य की तरफ बढ़ती है, जो इसे फुर्तीले और दूर के लक्ष्यों के खिलाफ एक अचूक हथियार बनाता है।

पाकिस्तान और चीन की बढ़ेगी टेंशन

यह मिसाइल की अधिक दूरी पर लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता भारतीय वायु सेना की ऑपरेशन जरूरतों के अनुरूप है। खास तौर पर चीन और पाकिस्तान से दो मोर्चे के खतरे वाले माहौल में यह महत्वपूर्ण क्षमता देती है। रूसी आर-37 को सुखोई-30एमकेआई में लगाया जाएगा, जो भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन की रीढ़ है। इससे भारत को पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-20 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के खिलाफ जवाबी क्षमता में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

इसी साल मई में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सफल ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसमें पाकिस्तानी वायु सेना के 11 एयरबेस को निशाना बनाया था। इस सैन्य टकराव ने आधुनिक युद्ध में लंबी दूरी की सटीक हमला क्षमता वाले हथियारों के महत्व को स्थापित किया। इसने भारतीय वायुसेना को हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए हवा से हवा में मार करने वाले शस्त्रागार को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया।

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