बागपत में दो सभ्यताओं के मिले संकेत, एक 5 हजार साल तो दूसरी 2 हजार वर्ष पुरानी, महाभारत-गुप्तकाल का संगम!

बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत में पांच हजार साल पुरानी सभ्यता के बाद अब नए संकेतों ने खंडवारी के जंगल को रोचक बना दिया है। यहां शुक्रवार को दो हजार साल पुरानी सभ्यता के भी कुछ गुप्तकालीन अवशेष मिले हैं। दो सभ्यताओं के अवशेष मिलने से सिसाना गांव खंडवारी जंगल पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की नजरों में महत्वपूर्ण हो गया है।
सिसाना गांव के जंगल में खंडवारी पर खुदाई के बाद प्राचीन दीवार दिखाई दी थी, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद पुरातत्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर सर्वेक्षण किया। सभ्यता को 5 हजार साल पुराना बताकर सनसनी फैला दी। महाभारत कालीन सभ्यता की जानकारी होते ही मेरठ से लेकर दिल्ली तक पुरातत्व विभाग से जुड़े लोगों में हलचल हो गई।
जांच के लिए ले गए मिट्टी के खिलौने
शुक्रवार को खंडवारी गांव के जंगल में पहुंचे दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर शुभम केवलिया ने अपने छात्रों के साथ चार घंटे तक साइट का भ्रमण किया। खंडवारी को महाभारत कालीन धरोहर बताया और कुछ पुरावशेष को दो हजार वर्ष पुरानी सभ्यता से जोड़कर देखा गया।यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर शुभम केवलिया ने बताया कि जांच के दौरान दो हजार साल पुराने मिट्टी के खिलौने और कुछ मृदभांड मिले हैं। इससे यहां लंबे समय तक मानव बस्ती होने की बात की जानकारी होती है। मंदिर की दीवार को उन्होंने गुप्त और उत्तर गुप्तकालीन ईंट का ढांचा बताया है। कुछ पूरावशेषों को जांच के लिए वह अपने साथ ले गए।
गुप्तकालीन सभ्यता का खुला राज
प्रोफेसर डॉ. शुभम केवलिया ने बागपत जिले की सिनौली साइट पर पीएचडी की है। लाक्षागृह, कुर्डी, बामनौली के अलावा अन्य साइटों का भ्रमण भी कर चुके हैं। उन्होंने मंदिर वाली दीवारों को गुप्तकाल से जोड़ा है। कहा है कि ये दीवारें गुप्त या फिर उत्तर गुप्तकालीन ईंटों का ढांचा होने के संकेत है।यहां मिले चित्रित धूसर मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) दो से चार हजार साल पुरानी सभ्यता की ओर इशारा कर रहे है। विस्तृत जांच के बाद ही सही जानकारी स्पष्ट हो पाएगी।





