साइमल्टेनियस या सक्सेसिव नॉमिनेशन! बैंक अकाउंट में 4 नॉमिनी बनाने का क्या होगा फायदा?

नई दिल्ली: इस साल पहली नवंबर से बैंकों के डिपॉजिट अकाउंट्स और बैंक लॉकरों में एक के बजाय 4 तक नॉमिनी बनाए जा सकेंगे। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि बैंकिंग लॉज (अमेंडमेंट) एक्ट 2025 के तहत नॉमिनेशन से जुड़े प्रावधान 1 नवंबर से लागू होंगे। इससे खाताधारकों को अपनी पसंद के हिसाब से ज्यादा लोगों को नॉमिनी बनाने का मौका मिलेगा और क्लेम सेटलमेंट से जुड़ी दिक्कतें भी पटेगी।

1 नवंबर से बैंक कस्टमर साइमल्टेनियस या सक्सेसिव तरीके से 4 तक लोगों को नॉमिनी बना सकेंगे। साइमल्टेनियस नॉमिनेशन में डिपॉजिटर 4 तक नॉमिनी बनाने के साथ यह भी बता सकते हैं कि हर नॉमिनी को वे कितना हिस्सा देना चाहते हैं। इससे विवाद की स्थिति नहीं बनेगी। वहीं, सक्सेसिव नॉमिनेशन में भी 4 तक नॉमिनी बनाए जा सकेंगे, लेकिन इस मामले में खाताधारक के जीवित न होने पर पहले नंबर वाले नॉमिनी को संपत्ति ट्रांसफर की जाएगी। उसके न रहने पर दूसरे और इसी तरह क्रमवार ढंग से बात आगे बढ़ेगी।

कानूनी वारिस

हालांकि यह भी स्पष्ट है कि नॉमिनी जरूरी नहीं है कि कानूनी वारिस भी हो। वारिस का निर्धारण दूसरे कानूनी नियमों से होता है। सेफ कस्टडी और सेफ्टी लॉकर्स के मामले में केवल सक्सेसिव नॉमिनेशन की सुविधा होगी।

मंत्रालय ने कहा, ‘इन प्रावधानों के लागू होने से जमाकताओं को अपनी पसंद के हिसाब से नॉमिनेशन में आसानी होगी, साथ ही पूरे बैंकिंग सिस्टम में क्लेम
सेटलमेंट के मामले में एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।’ मंत्रालय ने कहा, बैंकिंग कंपनीज (नॉमिनेशन) रूल्स 2025 में कई नॉमिनेशन करने और कैसल करने से जुड़ी प्रक्रिया बताई गई है। और इन्हें आने वाले समय में पब्लिश किया जाएगा, जिससे ये सभी बैंकों में इन प्रावधानों को एकसमान रूप से लागू हो सकें।

साइमल्टेनियस और सक्सेसिव में अंतर

साइमल्टेनियस नॉमिनेशन में एक से अधिक नॉमिनी बनाने पर खाताधारक की मृत्यु के पहले अगर किसी नॉमिनी की मृत्यु हो जाए और नॉमिनेशन में कोई बदलाव न किया गया हो तो मृत नॉमिनी के लिए तय हिस्से का आनुपातिक बंटवारा बाकी नॉमिनीज में होता है। खाताधारक के जीवित रहते ही किसी नॉमिनी की मृत्यु हो और वह नॉमिनेशन में बदलाव करें तो उसी बदलाव को लागू माना जाता है।

सक्सेसिव नॉमिनेशन में जितने भी नॉमिनी होते हैं, उनका वरीयता क्रम देना होता है। इसमें खाताधारक की मृत्यु होने पर पहले नंबर के नॉमिनी को पूरी रकम दी जाती है। इसमें हिस्सा यानी पसेंटेज तय करने का मामला नहीं बनता। अगर खाताधारक के साथ पहले नंबर के नॉमिनी की भी मृत्यु हो जाए, तो उनके बाद जिनका नंबर हो, उनकी बारी आएगी और इसी तरह क्रम तय होता है।

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