बिलिनेयर बने सुंदर पिचाई, पिता ने अपनी सालभर की सैलरी देकर खरीदी थी हवाई जहाज की टिकट

नई दिल्ली: गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट का परिणाम बहुत अच्छा रहा है। इस कारण 2023 की शुरुआत से ही कंपनी के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है। इससे कंपनी की मार्केट वैल्यू में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। निवेशकों को 120% का रिटर्न मिला है। ब्लूमबर्ग के अनुसार अल्फाबेट के शेयर रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब हैं। इस बढ़िया प्रदर्शन से कंपनी के सीईओ सुंदर पिचाई की नेटवर्थ में भी काफी उछाल आई है और वह भी अब बिलिनेयर बन गए हैं। 53 साल के पिचाई की नेट वर्थ अब 1.1 अरब डॉलर है। फोर्ब्स की रियल टाइम बिलियनेयर्स लिस्ट में पिचाई की नेट वर्थ 1.2 बिलियन डॉलर दिखाई गई है।

टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कोई नॉन-फाउंडर सीईओ इतना अमीर बन जाए। ज्यादातर टॉप एग्जीक्यूटिव कंपनी में हिस्सेदारी के दम पर अमीर बने हैं। इनमें मेटा प्लेटफॉर्म्स के मार्क जकरबर्ग और एनवीडिया कॉर्प के जेंसन हुआंग शामिल हैं। न्यूयॉर्क में गुरुवार को मार्केट खुलने के बाद अल्फाबेट के शेयर 4.1% तक बढ़ गए। दो महीने में यह सबसे ज्यादा इंट्राडे गेन था। अल्फाबेट ने अच्छा मुनाफा कमाया है। कंपनी ने बताया कि उसने उम्मीद से ज्यादा मुनाफा कमाया है। कंपनी का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से उसके हर बिजनस में फायदा हुआ है।

सुंदर पिचाई का भारत कनेक्शन

अल्फाबेट को दूसरी तिमाही में 28.2 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ है। इस दौरान कंपनी की कमाई 96.4 अरब डॉलर रही। कंपनी ने यह भी बताया कि वह इस साल कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 10 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करेगी। कंपनी क्लाउड सर्विसेज की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए यह निवेश कर रही है। पिचाई ने कहा, "हमने एक शानदार तिमाही बिताई है। कंपनी में हर जगह अच्छी ग्रोथ हुई है। AI की वजह से बिजनस में जबरदस्त उछाल आया है।"

पिचाई का जन्म 12 जुलाई 1972 में चेन्नई में हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश कंपनी जीईसी में इंजीनियर थे। परिवार दो कमरों के एक मकान में रहता था। पिचाई के पास पढ़ाई के लिए कोई अलग कमरा नहीं था। वह अपने छोटे भाई के साथ ड्राइंग रूम के फर्श पर सोते थे। घर में न तो टीवी था और न ही कार। लेकिन ये अभाव पिचाई के लिए प्रेरणा बने और उन्होंने महज 17 साल की उम्र में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर खड़गपुर में दाखिला लिया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वह हमेशा अपने बैच के टॉपर रहे। उसके बाद छात्रवृत्ति पाकर आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय चले गए।

शुरुआती संघर्ष

पिचाई ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पढ़ाई के लिए जब उन्होंने अमेरिका आने का फैसला किया था तो वह आसान नहीं था। उस वक्त उनके पिता ने अपनी सालभर की सैलरी देकर हवाई जहाज की टिकट खरीदी थी। अमेरिका में रहने के दौरान उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि जब वह अमेरिका आए थे तब आईएसडी कॉल का चार्ज 2 डॉलर प्रति मिनट लगता था। ज्यादा चार्ज की वजह से वह अपने घर पर बात तक नहीं कर पाते थे। जिंदगी में उन्होंने पहली बार कंप्यूटर अमेरिका में ही देखा था। सुंदर पिचाई ने मटेरियल इंजीनियर के रूप में शुरू किया और साल 2004 में एक मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव के रूप में गूगल में शामिल हो गए।


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