सुप्रीम कोर्ट बोला-पहलगाम जैसे हमलों को अनदेखा नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट में आज जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा दोबारा बहाल करने के मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से आठ हफ्तों के अंदर लिखित जवाब मांगा है। कोर्ट ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जमीनी हकीकत और पहलगाम जैसी आतंकी घटनाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से आर्टिकल 370 हटाने और विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने को सही माना था।
तब पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करेगी। हालांकि, कोर्ट ने इस बहाली के लिए कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं दी थी।
आज सरकार की ओर से मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था और इस पर काम कर रही है।
कोर्ट ने कहा- जमीनी हकीकत को देखा जाएगा
CJI ने कहा कि कोर्ट को जवाब दिए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि सिर्फ संवैधानिक जरूरतें ही नहीं, सुरक्षा संबंधी हालात भी देखना जरूरी हैं। सिर्फ संवैधानिक बहस के आधार पर निर्णय नहीं लिया जाएगा बल्कि जमीनी हकीकत को देखा जाएगा। कोर्ट ने सरकार को 8 हफ्तों का समय दिया है जिसके बाद मामले में सुनवाई की जाएगी।
सीनियर एडवोकेट शंकरनारायण ने कहा कि 11 दिसंबर 2023 के फैसले में कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित किया जाए। लेकिन राज्य का दर्जा बहाल करने में कोई टाल-मटोल नहीं होना चाहिए। अब 21 महीने हो चुके हैं लेकिन कोई प्रगति नहीं हो पाई है।
याचिकाकर्ता बोले- राज्य में हालात सामान्य
ये याचिकाएं प्रोफेसर जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की थीं। उन्होंने दलील दी कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक हो गए हैं। इससे स्पष्ट है कि राज्य की सुरक्षा व लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चल रही हैं।
लेकिन राज्य का दर्जा वापस न मिलने से वहां निर्वाचित सरकार का महत्व कम रहा है और यह संघीय ढांचे के तानाबाना को भी कमजोर कर रहा है।
धारा 370 क्यों हटाई गई थी
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटाने का फैसला लिया। सरकार का तर्क था कि यह कदम राष्ट्रीय एकता, विकास और आतंकवाद पर लगाम के लिए जरूरी था। धारा 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देती थी, जिसके तहत वहां का अपना संविधान और अलग कानून थे। इससे भारत के बाकी हिस्सों के लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते थे और न ही स्थायी नागरिक बन सकते थे।
केंद्र सरकार के अनुसार, इस धारा ने राज्य को मुख्यधारा से अलग कर रखा था और विकास बाधित हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि यह प्रावधान आतंकवाद को बढ़ावा देता था और कश्मीर घाटी में अलगाववाद की सोच को जन्म देता था।