तमिलनाडु की कंपनी ने खरीदा था 100kg जहरीला केमिकल:बिना टेस्ट बना रहे थे कोल्ड्रिफ कफ सिरप

मध्यप्रदेश में कफ सिरप से छिंदवाड़ा, बैतूल, नागपुर और पांढुर्णा में अब तक 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीच कोल्ड्रिफ सिरप की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की रिपोर्ट में सामने आया है कि यह सिरप नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से तैयार किया गया था।

जांच के दौरान कंपनी के मालिक ने मौखिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने दो बार में प्रोपलीन ग्लायकॉल के 50 किलो के दो बैग खरीदे थे। यानी कंपनी ने 100 किलो जहरीला केमिकल खरीदा था। जांच में इसका न कोई बिल मिला है। न खरीद की एंट्री बुक में दर्ज की गई। पूछताछ में जांच अधिकारियों को बताया कि भुगतान कभी कैश तो कभी G-Pay से किया था।

डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंगलवार देर रात नागपुर पहुंचकर अस्पताल में भर्ती बीमार बच्चों से मुलाकात की।

जहरीले केमिकल की मात्रा 486 गुना अधिक दवा बनाने वाली कंपनी ने घटिया क्वालिटी का प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा। उसका कभी टेस्ट भी नहीं कराया। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी के पास न तो खरीदी के बिल हैं और न ही प्रयोग किए गए केमिकल के रिकॉर्ड मौजूद हैं।

लैब जांच में यह भी पाया गया कि सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की मौजूदगी तय सीमा से 486 गुना अधिक थी।

इधर, एक एक्सपर्ट ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया है यह मात्रा न सिर्फ बच्चे के लिए घातक है बल्कि यह हाथी के बराबर के जानवर की भी किडनी और ब्रेन को नष्ट कर सकती है।

मार्च में खरीदा गया था केमिकल जांच रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 25 मार्च 2025 को प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था। लेकिन, यह नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड का था। यानी दवा बनाने के लिए उपयुक्त नहीं था। बावजूद इसके कंपनी ने न तो इसकी शुद्धता जांची और न ही इसमें डाईएथिलीन ग्लायकॉल या एथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा का परीक्षण किया।

कंपनी ने दस्तावेज छिपाने का किया प्रयास तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने पाया कि इस घटिया केमिकल से कई दवाएं तैयार की गईं। ऐसे में निरीक्षण के दौरान जांच टीम अपनी इन्वेस्टिगेशन को जारी रखा। जिसमें उन्होंने पाया कि कंपनी के पास उस समय प्रोपलीन ग्लायकॉल का कोई स्टॉक नहीं था। इससे शक और गहरा गया कि कंपनी ने केमिकल को तेजी से खत्म कर दस्तावेज छिपाने की कोशिश की।

तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने कहा कि यह जांच सार्वजनिक सुरक्षा के हित में अत्यंत आवश्यक थी, क्योंकि नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल के इस्तेमाल से बनी दवाएं बच्चों और वयस्कों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।

छिंदवाड़ा भेजने वाले थे 589 बॉटल कोल्ड्रिफ जांच दल को श्रीसन फार्मास्युटिकल्स में कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) 60 एमएल की 589 बॉटल मिली थी। जो छिंदवाड़ा भेजने के लिए तैयार की गईं थी। इसी बैच नंबर की सिरप पीने से बच्चों की किडनी फेल और ब्रेन में सूजन आई। जो उनकी मौत का कारण बनी। इन सिरप को साल 2025 के मई माह में तैयार किया गया था। वहीं, एक्सपायरी डेट साल 2027 अप्रेल माह है।

सिरप की 5870 बॉटल जांच दल को मिली जांच दल को फार्मास्युटिकल्स कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग साइट से कोल्ड्रिफ के अलावा 4 और सिरप मिले। इनमें 1534 बॉटल रेस्पोलाइट डी, 2800 बॉटल रेस्पोलाइट जीएल, 736 बॉटल रेस्पोलाइट एसटी, और 800 बॉटल हेपसंडिन सिरप थे। हालांकि, जांच में यह स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए।

बीमार बच्चों का इलाज कराएगी सरकार मंगलवार रात को राज्य सरकार ने बयान जारी कर बताया कि कोल्ड्रिफ सिरप की वजह से बीमार छिंदवाड़ा के 7 और बैतूल के 2 बच्चे नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सभी का इलाज सरकार करा रही है। इलाज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कार्यपालिक दंडाधिकारी और डाक्टर्स की संयुक्त टीम की तैनाती नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में की गई है।

डिप्टी नागपुर पहुंचे, बीमार बच्चों से मिले डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल मंगलवार देर रात नागपुर पहुंचे। यहां उन्होंने अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों का हाल जाना और उनके इलाज की समीक्षा की। नागपुर से लौटकर वे छिंदवाड़ा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

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