युक्तियुक्तकरण से सुदूर क्षेत्रों के स्कूलों को मिले शिक्षक

बीजापुर। कलेक्टर संबित मिश्रा ने छत्तीसगढ़ शासन के निर्देश पर शिक्षकों एवं शालाओं के युक्तियुक्तकरण तथा शिक्षा में गुणवत्ता लाने युक्तियुक्तकरण के उद्देश्य उनके फायदे सहित सम्पूर्ण प्रक्रिया को प्रेसवार्ता के माध्यम से जिले के मीडिया प्रतिनिधियों को अवगत कराते हुए विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी लखन लाल धनेलिया, एपीसी जाकिर खान सहित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगण मौजूद थे। 

कलेक्टर ने बताया कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की शालाओं में स्थिति इसके विपरीत है। वहां शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं और छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया गया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विषय-विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे।  बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। कुल मिलाकर युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।

छ.ग. में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 बच्चे प्रति शिक्षक हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। राज्य में 212 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन एवं 6,872 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। हमारे जिले में युक्तियुक्तकरण के पूर्व 76 प्राथमिक शाला, एक माध्यमिक शाला, एक हाईस्कूल, शिक्षक विहीन थे। युक्तियुक्तकरण के पश्चात कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है, 326 प्राथमिक शालाऐं एकल शिक्षकीय हैं।

राज्य में 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 255 एकल शिक्षकीय हैं। हमारे हमारे जिले में कोई भी पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन तथा एकल शिक्षकीय नहीं है। राज्य के प्राथमिक स्कूलों में 7,296 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 5,536 शिक्षकों की आवश्यकता है। हमारे जिले में युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्राथमिक स्कूलों में 412 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 15 शिक्षकों की आवश्यकता है। राज्य के प्राथमिक शालाओं में 3,608 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 1,762 शिक्षक ही अतिशेष हैं। हमारे जिले में प्राथमिक शालाओं में शून्य एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 07 शिक्षक ही अतिशेष हैं।  युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही एक ही परिसर में विद्यालय होने से आधारभूत संरचना मजबूत होगी और स्थापना व्यय में भी कमी आएगी। यह युक्तियुक्तकरण कोई कटौती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में बड़ा कदम है।

जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित न हो। पूरे राज्य में मात्र 241 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है। हमारे जिले में केवल 09 शालाओं का समायोजन किया जा रहा है।  राज्य के कुल 10,538 स्कूलों में से 10,297 स्कूल यथावत संचालित रहेंगे, जबकि जिले में 65 स्कूलों में से 56 स्कूल यथावत संचालित होंगे। सिर्फ उन्हीं स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है और पास में बेहतर विकल्प मौजूद हैं।

एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। अतिशेष शिक्षकों का पुनः समायोजन कर एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन विद्यालयों में पदस्थापना की जा रही है।

युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और बच्चों को पढ़ाई में गुणवत्ता के साथ ही निरंतरता भी बनी रहेगी। बच्चों के ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी, अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाईब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।

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