रेगुलेटर से लीक हुई गैस से लगी थी आग:मृतक की संतानों को 10 लाख का मुआवजा मिलेगा

करीब दस साल पहले भोपाल के शाहजहांनाबाद इलाके के संजय नगर में गैस सिलेंडर से हुई दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत और उसके परिवार के कई सदस्यों के झुलसने के मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने फैसला सुनाया है।

आयोग ने इस मामले में बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस लिमिटेड को मृतक की संतानों को 10 लाख रुपए का मुआवजा अदा करने और झुलसे अन्य परिवादियों को 10-10 हजार रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।

क्या था मामला? 15 अप्रैल 2015 की शाम लगभग 7 बजे, संजय नगर स्थित आवास में गैस सिलेंडर के रेगुलेटर में लीक के चलते अचानक आग लग गई थी। घटना के वक्त दुर्गेश गुप्ता (35) अपने परिवार के साथ वहीं रह रहे थे। आग लगने से दुर्गेश गंभीर रूप से झुलस गए और इलाज के दौरान 25 अप्रैल को हमीदिया अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। इस हादसे में उनके परिवार के अन्य सदस्य किरण देवी, सुमन, कृष्णा, हर्षिता, दीपक और हर्ष भी घायल हुए थे।

एजेंसी और ऑयल कंपनी ने टाल-मटोल की, बीमा क्लेम नहीं मिला हादसे के तुरंत बाद परिवादी परिवार ने न केवल पुलिस को, बल्कि गैस एजेंसी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन को भी इसकी सूचना दी। उन्होंने मुआवजे और बीमा क्लेम के लिए कई बार अनुरोध किए, लेकिन एजेंसी और ऑयल कंपनी ने बीमा कंपनी की जानकारी तक नहीं दी। इसके चलते उन्हें बीमा राशि का लाभ नहीं मिल पाया।

आयोग ने क्या कहा आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडे ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि यह स्पष्ट रूप से साबित हो गया है कि गैस रेगुलेटर का वॉशर टूटा हुआ था, जिससे गैस लीक होकर आग लगी। यह उपभोक्ता के किसी दोष से नहीं, बल्कि उपकरण की खराबी के कारण हुआ। बीमा पालिसी के शर्तों में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि अगर पंजीकृत उपभोक्ता के परिसर में गैस सिलेंडर के उपयोग के दौरान कोई दुर्घटना होती है, तो बीमा कंपनी मुआवजा देने की बाध्य होती है। इस मामले में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को सूचना मिलने के बावजूद क्लेम का निराकरण नहीं किया गया, जिससे यह सेवा में कमी का मामला सिद्ध हुआ।

आदेश में क्या-क्या कहा गया

  • बीमा कंपनी को 2 माह के भीतर 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि परिवादी संतान हर्षिता, दीपक और हर्ष के नाम संयुक्त रूप से जमा करना होगा।
  • यह राशि उनके वयस्क होने तक सावधि जमा (FD) के रूप में बैंक में सुरक्षित रखी जाएगी।
  • साथ ही परिवादी किरण देवी, सुमन और कृष्णा को भी अलग-अलग 10-10 हजार रुपए क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
  • परिवाद खर्च के रूप में किरण देवी को 3,000 रुपए दिए जाएंगे।
  • यदि बीमा कंपनी आदेश की निर्धारित समय सीमा में राशि अदा नहीं करती है, तो 9% वार्षिक ब्याज देना होगा।

एजेंसी और ऑयल कंपनी को नहीं माना दोषी हालांकि परिवादी पक्ष ने गैस एजेंसी (प्रियंका गैस एजेंसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन पर भी लापरवाही का आरोप लगाया था, लेकिन आयोग ने पाया कि एजेंसी ने दुर्घटना की सूचना कंपनी को समय पर दी थी और ऑयल कंपनी ने भी बीमा कंपनी को सूचित किया था। इसलिए इन दोनों को सेवा में कमी के दायरे से मुक्त कर दिया गया।

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