भारतीय वायुसेना 114 राफेल जेट खरीदकर बन रही अजेय ताकत, चीनी J-10C ‘कबाड़’… पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने खोली पोल

इस्लामाबाद: भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को 114 राफेल फाइटर जेट खरीदने का प्रस्ताव भेजा है। अगर सरकार से मंजूरी मिलती है तो ये भारत के इतिहास की सबसे बड़ी डिफेंस डील हो सकती है। माना जा रहा है कि भारत और फ्रांस के बीच 114 राफेल के लिए करीब 22-25 अरब डॉलर की डील हो सकती है। जिसको लेकर पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के इस डिफेंस सौदे के बाद पाकिस्तान एयरफोर्स को हवाई युद्ध के लिए अपनी स्ट्रैटजी में नये सिरे से पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है। पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स ने डिफेंस अनकट पॉडकास्ट में कहा है कि 114 राफेल फाइटर जेट सौदा भारत की रक्षा खरीद नीति में बड़े बदलाव का संकेत है।
पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि "राफेल फाइटर जेट बेड़े का विस्तार भारत को एक ऐसा लाभ देगा, जिससे उसका वायु बेड़ा ज्यादा संगठित, कुशल और ताकतवर बन जाएगा। इसके साथ ही पाकिस्तान एयर फोर्स के लिए यह स्थिति गंभीर चुनौती भी पेश करेगी, क्योंकि मामला सिर्फ राफेल बनाम JF-17 फाइटर जेट का नहीं है, बल्कि एक पूरी प्रणालीगत बढ़त का है। पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत ने राफेल के लिए ऑपरेशन और रखरखाव की व्यवस्था स्थापित करने में पहले ही महत्वपूर्ण निवेश कर दिया है और बेड़े का विस्तार करना इसकी स्क्वाड्रन ताकत को बढ़ाने का सबसे लागत प्रभावी तरीका होगा।
पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स भारत के 114 राफेल फाइटर जेट डील को पाकिस्तान एयरफोर्स के लिए टेंशन बता रहे हैं। उनका कहना है कि भारतीय वायुसेना का राफेल को लेकर रूझान पारंपरिक डिफेंस खरीददारी के पैटर्न से अलग है। क्योंकि पहले भारत अलग अलग देशों से फाइटर जेट खरीदता रहा है, लेकिन इससे भारत के सामने लॉजिस्टिक और नेटवर्क इंटीग्रेशन को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता रहा है। लेकिन भारतीय वायुसेना ने अब पारंपरिक खरीददारी से आगे बढ़कर ‘हाई-लो मिक्स’ मॉडल को अपनाने की तरफ आगे बढ़ रहा है, जहां राफेल जैसे 4.5+ जेनरेशन फाइटर जेट सबसे टॉप पर होंगे और उसके बाद स्वदेशी तेजस फाइटर जेट भारत के सेकंड लाइन डिफेंस को मजबूती देंगे।
विमानों के घरेलू प्रोडक्शन में पाकिस्तान से आगे भारत
पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स ने दोनों देशों की वायुसेना की तुलना करते हुए कहा है कि राफेल सौदे के साथ भारत अपने घरेलू प्रोडक्शन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा भारत के Su-30MKI कार्यक्रम और पाकिस्तान की JF-17 प्रोजेक्ट के बीच बहुत बड़ा अंतर ये है कि भारत Su-30MKI के लगभग 80% एयरफ्रेम और इसके जटिल AL-31FP इंजन का 54% स्वदेशी रूप से निर्मित करता है। यह औद्योगिक गहराई का वह स्तर है जो पाकिस्तान JF-17 के साथ हासिल नहीं कर पाया है, जहां आधे से ज्यादा एयरफ्रेम का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होता है, लेकिन उसके लिए सारा कच्चा माल चीन से आता है। लेकिन स्वदेशी क्षमता भारत को बड़े पैमाने पर प्लेटफॉर्म बनाने, एवियोनिक्स और हथियारों के एकीकरण को नियंत्रित करने और दीर्घकालिक रखरखाव लागत को कम करने में सक्षम बनाती है।