भोपाल स्टेशन पर गंदगी का राज:एग्जीक्यूटिव लाउंज के पहले कचरे, पान के पीक से स्वागत

बड़े तामझाम के साथ भोपाल रेलवे स्टेशन पर एग्जीक्यूटिव लाउंज का उद्घाटन हुआ था, लेकिन महज 11 दिनों में ही इसकी हालत खराब हो गई है। प्लेटफॉर्म नंबर-1 पर बना यह प्रीमियम लाउंज अब गंदगी, आवारा कुत्तों और अव्यवस्था का अड्डा बन गया है।
एग्जीक्यूटिव लाउंज के रास्ते में कचरे के ढेर, गुटखे की पीक और पानी भरे गड्ढे मिलते हैं। स्टेशन पर डस्टबिन भरी रहती हैं। लोग कचरा प्लेटफॉर्म पर ही फेंक देते हैं, जो पटरियों तक फैल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी अव्यवस्था के बाद भी कार्रवाई करने वाला कोई जिम्मेदार अफसर नजर नहीं आता।
यात्रियों की सुविधाओं के लिए बनाया
25 जून 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्टेशन के प्लेटफॉर्म-1 पर एग्जीक्यूटिव और वीआईपी लाउंज का उद्घाटन किया था। इस मौके पर यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं देने का दावा किया गया था।
एयरपोर्ट जैसी सुविधा देने के किए थे ये वादे
- ₹50 प्रति घंटा शुल्क, ₹100 डिपॉजिट
- एयरकंडीशंड रीक्लाइनर चेयर और सोफा
- वाई-फाई, एलईडी टीवी, अखबार-मैगज़ीन
- ₹200 में अनलिमिटेड वेज बुफे
- बच्चों के लिए गेम ज़ोन ₹100 में शावर सुविधा
- ₹200 में कॉन्फ्रेंस सेटअप: प्रोजेक्टर, स्नैक्स आदि
हकीकत…. डस्टबिन भरी पड़ी, नलों की टोटियां भी लीकेज
स्टेशन पर रखी डस्टबिन अधिकतर समय भरी रहती हैं। यात्री दुकानों से सामान लेकर प्लेटफॉर्म पर ही कचरा फेंकते हैं, जो हवा या चलते यात्रियों के पैर से पटरियों तक पहुंचता है।
प्लेटफॉर्म पर लगी कई टोटियां खराब हो चुकी हैं। इन्हें बंद करने पर भी लगातार पानी रिसता रहता है। इससे स्टेशन पर फर्श गीला बना रहता है और पानी की बर्बादी हो रही है।
सफाई व्यवस्था नहीं बदली गई
एक शिफ्ट में 25 कर्मचारी
सितंबर 2024 में तय किया गया था कि रेलवे नगर निगम को यूजर चार्ज नहीं देगा, बल्कि खुद सफाई कर्मचारी बढ़ाकर स्टेशन-कॉलोनियों की सफाई कराएगा। फिलहाल प्राइवेट कंपनी सफाई का जिम्मा संभाल रही है, जो तीन शिफ्ट में कुल 75 कर्मचारियों से काम करवाती है। यानी एक शिफ्ट में 25 कर्मचारी तैनात रहते हैं।
600 किलो कचरा रोज
भोपाल रेलवे स्टेशन से रोज करीब 600 किलो कचरा नगर निगम के शाहजहांनी ट्रांसफर स्टेशन भेजा जाता है। इसके बदले कंपनी 600 से 700 रुपए प्रतिदिन जमा करती है। हालांकि निगम की रसीद में सिर्फ वजन दर्ज होता है।
75 कर्मचारी रहने थे
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की उपाध्यक्ष अंजना पंवार ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और उन्हें सुरक्षा उपकरण देने की सलाह दी थी। इसके बाद रेलवे ने फैसला लिया था कि भविष्य में एजेंसी के बजाय सीधे सफाईकर्मी नियुक्त किए जाएंगे और हर शिफ्ट में कम से कम 75 कर्मचारी रहेंगे। लेकिन यह व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो सकी।