टूट रही भारत और चीन के बीच की दीवार, चाइनीस सामान से हटेंगी बंदिशें, क्या है सरकार की तैयारी

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने के संकेत मिल रहे हैं और व्यापार की दीवार टूटती नजर आ रही है। इसी कड़ी में भारत सरकार अब चीन और दूसरे देशों से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, जूते, रोजमर्रा के घरेलू सामान, स्टील और कच्चे माल जैसे सामानों के आयात से जुड़े लंबित प्रस्तावों को जल्द ही मंजूरी देने की तैयारी कर रही है।
यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि साल 2020 की शुरुआत में चीन के साथ सीमा पर हुई झड़पों के बाद भारत ने ऐसे आयात पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब जब रिश्ते बेहतर हो रहे हैं और हाल ही में जीएसटी में कटौती के बाद कई उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ी है। इस कारण सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार इस प्रक्रिया के तहत चीन और अन्य देशों में बने सामानों को भारत में लाने के लिए वहां की कंपनियों को जरूरी सर्टिफिकेशन (प्रमाणन) दिया जाएगा, जिससे निर्यात तेजी से हो सकेगा। पिछले हफ्ते उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ( DPIIT ) ने निर्माताओं से उन कंपनियों का कंपनी-वार विवरण मांगा है जहां विदेशी निर्माताओं के सर्टिफिकेशन स्कीम में देरी हो रही है
स्थानीय मांग पूरा करने में मिलेगी मदद
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले इस विभाग ने सभी जरूरी जानकारी और वर्तमान स्थिति भी मांगी है। इसी तरह का एक मैसेज उद्योग निकायों और संघों को भी भेजा गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम जल्द ही चीन सहित कई देशों के सप्लायर्स के लिए लाइसेंस जारी करना और उनका नवीनीकरण करना शुरू कर देंगे। हम इस प्रक्रिया को शुरू करेंगे और आवेदनों का मूल्यांकन हर मामले के आधार पर करेंगे।’
BIS का अप्रूवल जरूरी
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से किसी भी निर्माण इकाई (चाहे वह भारत में हो या विदेश में) का अप्रूवल लेना जरूरी है। यह उन तैयार उत्पादों, उनके पुर्जों और कच्चे माल के लिए है जो क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) के तहत आते हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर जूते और यहां तक कि बी2बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) प्रोडक्ट भी शामिल हैं।
सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में BIS के अधिकारियों की एक टीम विदेशी निर्माण इकाइयों का दौरा करती है। जहां स्थानीय फैक्ट्रियों के लिए अप्रूवल तुरंत मिल जाते थे, वहीं विदेशी प्लांट्स के लिए यह प्रक्रिया काफी धीमी थी। चीन में बने सामानों के लिए तो लगभग कोई अप्रूवल नहीं मिल रहा था, जिससे भारत में सप्लाई चेन बाधित हो रही थी।
व्यापार को लेकर बढ़ रही नजदीकी
यह नया फैसला भारत-चीन व्यापार वार्ता में फिर से जुड़ाव का संकेत माना जा रहा है। इससे पहले चीन ने छह महीने के अंतराल के बाद भारत को भारी दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक का निर्यात फिर से शुरू किया था। इस कदम से इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों के घरेलू निर्माताओं पर दबाव कम हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं और भारत ने चीनी व्यापार वीजा जारी करना भी शुरू कर दिया है।





