दुनिया का सबसे कठिन इलाका, चीन की टेढ़ी नजर! भारत ने कस ली कमर… जबरदस्त तरीके से चल रहा डेवलपमेंट

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे कठिन इलाकों में से एक लद्दाख। यहां बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट विजयक की शुरुआत साल 2010 में की गई। प्रोजेक्ट विजयक को लद्दाख की दूरस्थ घाटियों और सीमावर्ती इलाकों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और सेना की जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। हिमालय की ऊंचाइयों में बसा लद्दाख भारत का एक दूरस्थ क्षेत्र ही नहीं है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम क्षेत्र है। यह इसलिए भी खास है, क्योंकि चीन लद्दाख पर अपनी टेढ़ी नजर गड़ाए हुए हैं।

यहां का हाई एल्टीट्यूट बेहद कठोर मौसम किसी भी काम में मेहनत को कई गुना बढ़ा देता है। 21 सितंबर यानी रविवार को विजयक को 15 साल हो गए। पिछले डेढ़ दशक में इस प्रोजेक्ट ने लद्दाख की कनेक्टिविटी पूरी तरह बदल दी है। प्रोजेक्ट विजयक के तहत 1400 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें और 80 से अधिक पुल बनाए गए हैं और मेंटेन किए गए हैं। इससे ऊंचाई वाले बेहद कठिन इलाकों में भी सालभर संपर्क बना रह सका है। अप्रैल 2025 में प्रोजेक्ट विजयक के तहत जोजिला दर्रा सर्दियों में बंद होने के बाद सिर्फ 31 दिनों में दोबारा खोल दिया गया।

फ्लैश फ्लड, नदियां बढ़ा देती हैं चुनौतियां

इससे लद्दाख और देश के बाकी हिस्सों के बीच लगातार संपर्क बना रहा। यहां चुनौतियों को देखें तो सबसे बड़ी चुनौती है कि यहां आधे साल बर्फीली ठंड रहती है, तापमान माइस से नीचे । बर्फबारी, ग्लेशियर पिघलने से फ्लैश फ्लड, नदियों का बदलता रास्ता, ये सब चुनौतियां कई गुना बढ़ा देते हैं। विजयक के 15वें स्थापना दिवस पर बी आर ओ ने कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए। कारगिल से द्रास वॉर मेमोरियल तक बाइक रैली निकाली गई, शहीदों की याद में विजयक मेमोरियल का उद्घाटन किया गया।

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