भोपाल के इन जगहों पर डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा, जाने से बचें

भोपाल। राजधानी भोपाल में इस साल डेंगू का खतरा पिछले वर्ष की तुलना में कुछ कम दिखाई दे रहा है, लेकिन चिकनगुनिया और मलेरिया के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। रुक-रुक कर हो रही बारिश और मौसम में बदलाव के कारण मच्छरजनित बीमारियों का खतरा अभी भी पूरी तरह से टला नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अब तक जनवरी से अगस्त 2025 के बीच केवल 59 डेंगू के मरीज मिले हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 172 थी। चिकनगुनिया के मामलों में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल 45 मरीज सामने आए थे, जबकि इस साल अब तक 54 मरीज दर्ज किए गए हैं।
सात इलाकों में सबसे ज्यादा मामले
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि डेंगू और चिकनगुनिया के लगभग 60 फीसदी मामले केवल सात इलाकों से आए हैं। इनमें साकेत नगर, महामाई का बाग, बरखेड़ी कलां, बागमुगालिया, अवधपुरी, शाहजहानाबाद और शहीद नगर शामिल हैं। इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष अभियान चलाकर रोकथाम के उपाय तेज कर दिए हैं।
नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की सख्ती
जून से अगस्त तक नगर निगम और मलेरिया विभाग ने इन क्षेत्रों में लार्वा सर्वे, फॉगिंग और पानी के जमाव को रोकने के लिए अभियान चलाया। 15 जगहों पर लार्वा मिलने पर 15,700 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। विभाग ने तीन लाख से अधिक घरों का सर्वे किया, जिसमें 10,161 घरों में लार्वा पाया गया। कुल 23 लाख कंटेनरों की जांच में 11,450 कंटेनरों में लार्वा मिला, जिन्हें तत्काल नष्ट किया गया।
जांच और इलाज की स्थिति
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जनवरी से अब तक 7,500 से ज्यादा लोगों की जांच की गई है, जिसमें मलेरिया के केवल सात केस सामने आए हैं। सभी संक्रमित मरीजों का इलाज जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों में समय पर इलाज बेहद जरूरी है, क्योंकि लापरवाही की स्थिति गंभीर साबित हो सकती है।
जागरूकता अभियान पर जोर
लोगों को इन बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी लगातार घर-घर जाकर जानकारी दे रहे हैं। वे लोगों को पूरी बांह के कपड़े पहनने, घर के आसपास पानी जमा न होने देने और मच्छरों को पैदा होने से रोकने के तरीके बता रहे हैं।
अगस्त में विशेष अभियान के तहत 56 आदिवासी हॉस्टलों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए। वहीं, 84 स्कूलों में बच्चों को जागरूक करने के लिए निबंध और ड्राइंग प्रतियोगिताएं कराई गईं। विभाग का मानना है कि जब बच्चे जागरूक होंगे तो वे अपने परिवारों को भी सतर्क करेंगे।
सीएमएचओ का बयान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि इस साल डेंगू के मामले कम जरूर हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम लापरवाह हो जाएं। कुछ इलाकों में लगातार मरीज मिल रहे हैं और हमारी टीमें वहां सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के लिए केवल स्वास्थ्य विभाग के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने घर और आसपास की साफ-सफाई रखे और पानी जमा न होने दे।